एक भव्य संकीर्तन यात्रा



हरे कृष्णा
प्रभु जी आप सब को ये जानकर अति हर्ष होगा के हमारे MISSION द्वारा एक भव्य संकीर्तन यात्रा का आयोजन हो रहा है| संकीर्तन यात्रा 20-DEC-2009 को अंगद जी के घर से सुबह 10 बजे शुरू होगी|
यात्रा जनकपुरी मायो स्कूल से शुरू होगी, उसके बाद जनकपुरी सब्जी मंडी, जनकपुरी मेन मार्केट, त्रिवणी धाम मंदिर, ओशियन प्लाज़ा, शालीमार गार्डन चौक, बी ब्लाक पार्क, शिव चौक, बिजलीघर से होते हुए गणेशपुरी में नारदीय भक्ति धाम पर विराम होगी|
आप सभी भक्तगण संकीर्तन यात्रा में सादर सपरिवार आमंत्रित है| संकीर्तन यात्रा में पधारे और आपने इस जीवन को हरि भजन में लगायें|

निवदेक
समस्त नारदीय भक्त

हरे कृष्णा

पहली संकीर्तन यात्रा

हरे कृष्ण

प्रभु जी आज मंदिर में MEETING थी जिसमे मिशन की होने वाली संकीर्तन यात्रा के बारे में चर्चा हुई|

1. मिशन अपनी पहली संकीर्तन यात्रा 2 अक्टूबर 2009 (Mission Birthday) को निकालेगा|
जिसका विवरण इस प्रकार है यात्रा 2 अक्टूबर को त्रिवणी धाम से होकर जनकपुरी, गौर प्लाजा, शिव चौक,शालीमार गार्डन B - BLOCK से होकर गणेशपुरी में मंदिर पर पूर्ण होगी|

मिशन की यात्रा की एक खास पहचान होगी, इसमें सब भक्त धोती और कुर्ते में न होकर धोती और T-Shirt में होंगे| जिससे लोग भक्तो को पंडित जी ना समझ कर भक्त समझे| हमारा उद्देश्य धोती कुर्ते वाले लोगो को इकट्ठा करना नहीं है हमारा मकसद भगवान के भक्तो को भगवान की सेवा में लगाना है|

हरे कृष्ण हरी बोल राम राम भोले नाथ की जय
आपका दास
नारद प्रिय दास
7/09/2009
हरे कृष्ण
प्रभु जी २३ अगस्त २००९ को मिशन ने कुछ नियम बनाये जो सभी भक्तो मानने होंगे| ये कुछ सामान्य नियम है जो कि श्री नारद जी महाराज के शिष्यों को मान्य होंगे :-

नियम वो रस्सी है जो किसी ऊचाई पर चड़ने के लिए हमारी सहायता करते है| अगर आप किसी वस्तु को पाना चाहते है तो आपको किसी उद्देश्य कि आवश्यकता होगी और उस उद्देश्य को पाने के लिए आपको कुछ नियमो का पालन करना होता है

हमारे आराध्य देव = श्री कृष्ण

हमारे गुरु जी = श्री श्री देवऋषि नारद जी महाराज

हमारे उद्देश्य = भगवान श्री कृष्ण से दिव्य मिलन
भगवान के दिव्य नाम का प्रचार

जप का मन्त्र = हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे


मिशन के शुरूआती नियम जो सबको मान्य होंगे :-

१. मांसाहार का निषेध
२. अवैध संबंधो का निषेध
३. नशीली वस्तुओं का निषेध
४. नित्य हरे कृष्ण महामन्त्र की ४ माला करना

कुछ और नियम जो की बड़े भक्तो को पालन करने होंगे :-

१. चाय, कोफी, लहसुन और प्याज का निषेध
२. बाहर का खाना जितना हो सके नहीं खाएं
३. नित्य हरे कृष्ण महामन्त्र की १६ माला करना
४. नित्य संकीर्तन में आना
५. नित्य भक्तों के साथ बातचीत
६. नित्य धार्मिक पुस्तकों का पाठन

Mission Rules

HARE KRISHNA,

PRABHU JI ON 23RD OF AUGUST OUR MISSION DESSIDE SOME RULES TO BE FOLLOWED BY EACH AND EVERYONE. THESE ARE THE BASIC RULES TO BE FOLLOWED BY HIS GRASE SHRI NARAD JI’S DESIPLES.

RULES ARE THE ROPE THAT WILL HELP ANYONE TO CLIMB THE HIGHT. TO ACHIVE SOMETHING YOU NEED TO SET ONE GOEL, TO GET THAT GOEL YOU NEED SOME RULES THAT LED TO THE GOEL.

ADORABLE GOD = SHRI KRISHNA

OUR GURUJI = SHRI SHRI DEVRISHI NARAD JI

ULTIMATE GOAL = DEVINE MEET WITH LORD KRISHNA
DIVINE NAME PROPOGATION

MANTRA WE CHANT = HARE KRISHNA HARE KRISHNA KRISHNA KRISHNA HARE HARE
HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAM HARE HARE


OUR MISSION SET 4 BASIC RULES THAT ARE AS FOLLOW :-

1. NONVEG PREVENTION
2. ILLICIT AFFAIRS PROTEST
3. DO NOT USE INTOXICANTS
4. FOUR (4) ROUND MALA OF HARE KRISHNA MAHAMANTRA DAILY.

THERE ARE SOME MORE RULES FOR THE UPPER LEVEL BHAKTS :-

1. TEA, COFFEE, ONION, GARLIC PREVENTION
2. DO NOT EAT OUTSIDE
3. 16 ROUND OF MAHAMANTRA MALA DAILY
4. NITYA SANKIRTAN
5. NITYA DEVOTEE INTERACTION
6. READING SPRITUAL BOOKS (BHAGWAT GEETA, GEETA PRESS BOOKS, ETC..)

16 August 2009 पहला उमंग उत्सव|

हरे कृष्णा,

16 अगस्त को मिशन ने अपना पहला उमंग उत्सव मनाया| उसके कुछ अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ| उमंग उत्सव में जो संकीर्तन किया गया उसको करके सबका दिल ख़ुशी से झूम उठा| संकीर्तन इतना भव्य था कि क्या कहना, सभी भक्त संकीर्तन में नृत्य कर रहे थे| सब इस बात से बहुत खुश थे कि मिशन का पहला उमंग उत्सव था, पर जैसा के अब तक होता आया है भगवान ने इस बार भी हमे बहुत सताया| सुबह से ही बारिश हो रही थी| सुबह 8 बजे से लाइट नहीं थी, जिसके कारण इन्वेर्टर भी काम नहीं कर रहा था| जैसे - तैसे बैटरी का प्रबंध किया गया जिससे शाम का संकीर्तन हुआ| उसके बाद भारत जी का चरित्र का नाट्य रूपांतरण किया गया| जिसका सारा श्रेय रासबिहारी प्रभु को जाता है| उन्होंने नाटक का सारा जिम्मा ले रखा था, नाटक के लिए पात्र चुनना और उनको सही-सही मार्गदर्शन करना सब उनका काम था| ये उन्ही की मेहनत का फल था जो नाटक इतना अच्छा हुआ की सबकी आँखों में आंसू आ गए| उसका वर्णन में नहीं कर पाउँगा, जो उस नाटक को देख पाया उसने समझा है की भारत जी का चरित्र कैसा था कोई राम जी से इतना प्यार कैसे कर सकता है, आज के युग में जो भाई दुसरे भाई के दुःख में साथ नहीं देता, अगर आज भाई भाई में इतना प्यार हो जाये तो ये पृथ्वी वापस स्वर्ग बन जायेगी|

भरत जी के बारे में मैं आपको क्या बताऊ पर नाटक को देख कर ऐसा लगा जैसे साक्षात् भरत जी हमारे सामने खड़े हो| वृन्दावन प्रभु ने भरत जी का चरित निभाया| वो साक्षात् भरत जी लग रहे थे| बस इसके बाद मैं और कुछ नहीं कह सकता क्योंकि भरत जी के चरित्र का वर्णन करना राम जी के बस में नहीं तो मैं किस खेत की मुली हूँ|
बस इतना कह सकता हूँ के भरत जैसा भाई इस संसार मैं पहले कभी नहीं हुआ, न है, और न कभी होगा|

भरत जी महाराज की जय
हरे कृष्ण
आपका दास
नारद प्रिय दास

परम उत्सव जन्माष्टमी....

हरे कृष्णा
सभी भक्तो को,

जन्माष्टमी का महाउत्सव श्रीमन नारदीय भगवत मिशन में बड़ी ही धूम धाम से मनाया गया, जिसका वर्णन तो किया ही नहीं जा सकता है पर हम इसके कुछ अंश का तो वर्णन कर ही सकते है, जन्माष्टमी की तैयारी हमारे श्री भगवती प्रभु ने एक दिन पहले से ही शुरु कर दी थी| जन्माष्टमी के दिन सभी भक्तो ने मंदिर में सेवा दी और मंदिर को तरह-2 की सजावट और सुन्दर फूलो से सजाया गया, मंदिर जैसे की साक्षात् वैकुण्ठ की तरह लग रहा था| श्री ठाकुर जी और ठकुराइन जी को तो बहुत ही सुन्दर सजा गया था, दोनों इतने सुन्दर लग रहे थे की साक्षात् भगवान दर्शन दे रहे हो, फूल माला, वस्त्र, मोर मुकुट ये सब ठाकुर जी पर इतने सुन्दर लग रहे थे की सब भक्त कह रहे की कही उन्हें नजर न लग जाये इस कारण दोनों को काला टीका भी लगाया गया| शाम होते ही संक्रितन शुरू हो गया ओर रात्रि तक भक्त-जन ठाकुर जी के प्रेम में डूबे रहे, हमारे श्री कृष्ण चरण दास प्रभु और श्री भगवती प्रभु एक से बड़कर एक भजन कराते सभी साधक मिलकर उनका साथ देते ओर प्रेम सरोवर में गौते खाते, एक एक साधक ठाकुर जी को उनके जन्मदिन की बधाई उन्हें स्मरण करके देते| इसी अवसर पर भक्त प्रह्लाद नाटक का भी आयोजन किया गया वो नाटक तो सभी को पसंद आया, मध्य रात्रि 12बजे ठाकुर जी को पंचामृत से स्नान कराया गया ओर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी गयी ओर फिर से जबरजस्त संक्रितन कराया गया| सभी साधक चरनाअमृत व भोग पाकर अपने घरो के ओर प्रस्थान किया|

आपका दास
राधा माधव दास

हरिद्वार में श्रीमन नारदीय भगवत मिशन

हरे कृष्ण
प्रभु जी ऋषिकेश के बाद हम सब हरिद्वार में 27 रात को पहुँच गए| उसके बाद खाने के लिए एक होटल वाले से कहा गया के खाना बिना प्याज और लहसुन का होना चाहिए| लेकिन उसने गलती से या जैसे भी कहो उसमे प्याज डल गया, सभी भक्त उस खाने को छोड़ कर चले आये| उसके बाद हमारे रहने का इंतजाम बहुत ही सुन्दर घर में हुआ, जहाँ हमे खाना बनाने के लिए सभी सामान मिल गया(हमारे रहने का प्रबंध कनखल में हुआ)| उसके बाद बहनों ने रात में सबके लिए चावल और नमकीन से खाना बनाया और हम सब को रात का खाना मिला| उसके बाद ये निश्चित हुआ के खाना हम सब घर पर ही खाया करेंगे| बहनों ने इस बात की जिम्मेदारी ली| 28 तारीख को सुबह हम सब दक्ष्शेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए गए| उनके दर्शन करने के बाद हम सब ने दक्ष यज्ञ की कथा सुनी| दोपहर को सब ने खाना खाया और उसमे सेवा दी| शाम को हमने सप्त द्वीप में कई मंदिरों के दर्शन किये पर सबसे अधिक प्रणामी सम्प्रदाय का मंदिर लगा| हमने कनखल में नगर संकीर्तन भी किया, रात को हमने स्वामीनारायण मंदिर (कनखल) में संकीर्तन किया जिससे वहां के पुजारी बड़े ही प्रस्सन हुए| 29 तारीख को हमने चंडी देवी और अंजना माँ (हनुमान जी की माता जी) के दर्शन किये| अंजना माँ के मंदिर में हमने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया| वहां की चढाई बहुत ही खड़ी है उसके लिए हमे बहुत समय लगा| हम सब हर की पोडी पर स्नान करने गए गंगा माँ को देखकर कितना अच्छा लगा कहा नहीं जा सकता| गंगा माँ में स्नान करते करते हमे काफी समय हो गया| उसके बाद हमने शाम को गंगा जी की आरती देखी उसको देखकर ऋषिकेश (परमार्थ निकेतन) की याद आ गयी| उसके बाद शाम को घर पर ही संकीर्तन हुआ| 30 तारीख को हमने मनसा देवी के दर्शन किये, उसके लिए चैतन्य प्रभु ने उड़न खटोले का प्रबंध किया था| जिससे बहुत जल्दी हमने मनसा माँ के दर्शन कर लिए| शाम को हमने संकीर्तन किया| 31 तारीख को सुबह हम सब शुक्र ताल के लिए रवाना हुए जहाँ पर शुक देव महाराज ने परीक्षित जी को भगवत की कथा सुनाई थी| वहां बहुत ही शांति थी और सबको बड़ा ही अच्छा लग रहा था| सबने वहां गंगा माँ में स्नान किया और नगर संकीर्तन भी किया| संकीर्तन करते-करते हम मंदिर गए और शाम को खाना खाकर घर के लिए रवाना हुए| रात लगभग 2 बजे के आस पास हम शालीमार गार्डन पहुंचे| सभी भक्त बहुत थके थके से लग रहे थे पर सभी के मुख पर एक विशेष आभा चमक रही थी| सभी बहुत दुखी थे कि अब सब भक्तो से बिछड़ना पड़ रहा है और सब शाम को ही मिल पाया करेंगे| सभी भक्त ये सोच रहे थे के काश सब भक्त एक साथ रह सकते हमेशा हमेशा के लिए| भगवान ने अगर चाहा तो एक न एक दिन ऐसा भी आएगा जब सब भक्त एक साथ रहेंगे|

हरी बोल| हरे कृष्ण||

आपका दास
नारद प्रिय दास

ऋषिकेश में धूम


हरे कृष्ण

इतने दिनों तक कुछ update नहीं करने के लिए प्रभु जी मैं आप से क्षमा चाहता हूँ, इसमें मेरी ही कमी है मेरा ही आलस है जो मैं अपनी सेवा नहीं दे सका, आप से प्रार्थना है की आप सब मेरे लिए प्रभु से प्रार्थना करे कि मैं आलस को त्याग कर अपने कर्त्तव्य को पूरा कर सकूँ| हरि बोल

अब मैं आपको मिशन के ऋषिकेश और हरिद्वार के trip के बारे में बताना चाहता हूँ|

हमारा मिशन 24-07-09 को ऋषिकेश के लिए रवाना हुआ| सुबह लगभग 10 बजे के आस पास ऋषिकेश पहुंचे, उसके बाद गीता भवन हॉल न. 5 भगवन ने हमारे लिए बुक करवा दिया| हम 45 लोग जिसमे बहने और माताएं भी शामिल थी सब के लिए अलग अलग कमरा मिल गया| उसके बाद 25 तारीख लगभग आराम करने में बीती| शाम को हमने ऋषिकेश के बाजार और गंगा जी के घाट पर हरि नाम संकीर्तन की धूम मचा दी| जो भी संकीर्तन को सुनता वो ही झुमने लगता| गीता भवन हॉल न. 1 में हमने काफी देर तक संकीर्तन किया, गीता भवन के सभी लोग संकीर्तन में मस्त हो गए| शाम को 7:30 बजे हमने परमार्थ निकेतन में गंगा जी कि आरती देखी इतनी शांत और भव्य आरती हमने पहले कभी नहीं देखी थी| सभी भक्त गंगा माँ से बाते कर रहे थे, सब के मुख पर एक अजीब सी शांति और आनंद झलक रहा था| ऐसा लग रहा था जैसे गंगा माँ साक्षात् हमारे सामने खड़ी हो, बहुत ही सुन्दर द्रश्य था| जब तक हम ऋषिकेश में रहे उतने दिन हम परमार्थ निकेतन की गंगा माँ की आरती के दर्शन करते रहे|

26-07-09 को हमारा प्लान नीलकंठ भगवन का दर्शन करने का था| परन्तु जैसा भगवान चाहते है वैसा ही होता है| हमारी पूरी तैयारी होने के बावजूद हम उस दिन केवल ऋषिकेश में संकीर्तन ही कर सके, इससे सारे भक्त बड़े ही उदास हो गए| उस दिन हमने कालीकमली वाले आश्रम में संकीर्तन किया|

27 तारीख को कृष्ण चरण दास जी ने हमे भगवान के प्लान के बारे में बताया, हुआ ये कि 26 तारीख को रविवार था, और भगवान हमे अपने दर्शन सोमवार को देना चाहते थे, क्योंकि वो सावन का चौथा सोमवार था| इस बात को सुनते ही सब भक्तो का मन इतना खुश हो गया और सबका जोश दुगना हो गया| सुबह हम सब गाड़ी में बैठ कर नीलकंठ महादेव के लिए रवाना हो गए| वहां पहुँच कर सब ने महामंत्र की जगह ॐ नमः शिवाय का संकीर्तन किया जिससे भगवान शंकर के सभी भक्त बहुत ही खुश हुए और हमे उन सब भक्तो का आशीर्वाद प्राप्त हुआ| कई भक्त तो हमारे साथ ही शामिल हो गए और भगवान का संकीर्तन करने लगे| सब ने हमारे संकीर्तन की सराहना की और कहा की इतनी छोटी उम्र में भगवान का भजन करने वाले बच्चे उन्होंने पहले कभी नहीं देखे| वहां पहुँच कर इतनी लम्बी कतार को देखकर सभी भक्त परेशान हो गए, सबका जोश ठंडा पड़ने लगा, परन्तु महादेव प्रभु ने कुछ जुगत लगा कर सब को लाइन में लगा लिया, जिससे 5 घंटे की प्रतीक्षा की जगह 1 घंटे में ही सब भक्तो को भगवान नीलकंठ के दर्शन हो गए, और सभी ने भगवान नीलकंठ का धन्यवाद किया, जिनकी कृपा से हम सब उनके दर्शन कर सके| बोलो नीलकंठ भगवान की जय| सोमवार को हमे भगवान नीलकंठ के प्रताप से परमार्थ निकेतन के स्वामी श्री चिदानंद सरस्वती जी महाराज के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ|

27 तारीख शाम को ऋषिकेश से हरिद्वार जाना था, इसलिए हमने पूरा समय संकीर्तन और भगवान नाम जप में व्यतीत करने का निश्चय किया| वैसे लगभग सभी भक्त महामंत्र की 108 और कई तो इससे अधिक माला भी करते थे| सुबह से लेकर शाम तक हम सब ऋषिकेश की गलीओं में संकीर्तन यात्रा करते रहे| ऋषिकेश के लोग हमारे संकीर्तन से बहुत प्रभावित हुए| कई भाईओं ने तो हमसे आकर पूछा की आप सब कहाँ से आये हो, कितने दिन ऋषिकेश में रहेंगे और कब कब आपका संकीर्तन होता है| गीता भवन में सेवा करने वाले एक साधक अंकल (जिनको सब मामा जी कहते थे) ने हमे अपने निवास स्थान पर संकीर्तन करने के लिए आमंत्रित किया| उनके साथ बहुत से बुजुर्ग साधक गीता भवन न. 3 में भगवान का भजन करते थे हम ने उनकी शांति को हरि नाम संकीर्तन से भंग कर दिया, बहुत से बुजुर्ग साधक हमारे साथ संकीर्तन में नृत्य करने लगे, वे सभी भक्त बहुत प्रस्सन हुए और हमे बहुत से आशीर्वाद दिए| उन्होंने हमे फिर से ऋषिकेश में आने का निमंत्रण दिया| उन्होंने कहा आप अगर गीता भवन में कोई प्रोग्राम करना चाहते है तो हमे अपने आने का पहले से बता दे तो हम उसके लिए प्रबंध कर देंगे| भगवान अपने भक्तो का कितना ख्याल रखते है ये हमे उस दिन देखने को मिल गया| उसके बाद हमने रात को लगभग 10 बजे हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया|

आपका दास
नारद प्रिय दास

हमारे दोष ( काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार) ही हमारे सबसे बड़े शत्रु है

हरे कृष्ण
हमारे दोष ( काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार) ही हमारे सबसे बड़े शत्रु है | जब हम भगवान के रस्ते पर चलते है तो हमारे दोष ही हमारे सामने आते है | जब हम कर्म करते है तो कोई एक दोष हमारे सामने आ जाता है ओर हम उस दोष के साथ चलने लगते है , भगवान को भूल जाते है | भगवान को एक तरफ कर देते है | काम, क्रोध, लोभ, मोह, एवं अंहकार- इन पांचो में से किसी न किसी का आकषर्ण मन में होता है तो फिर साधन - भजन की जगह पर मन उसमें फिसल पड़ता है |

आये थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास.....

पहले चले तो थे भगवान के लिये लेकिन छुपी हुई कोई वासना थी, उसकी पूर्ति होने लगी तो भगवान, भगवान की जगह पर रहे और हम लोग उसी वासनापूर्ति में उलझ जाते हैं एवं अपना कीमती समय पूरा कर देते हैं | फिर उसी वासनापूर्ति में जो हमारा समर्थन करते हैं वे हमारे मित्र बन जाते हैं और जो समर्थन नहीं करते हैं वे हमारे दुश्मन बन जाते हैं | इससे राग द्वेष उत्पन्न होने लगते हैं जो कि हमें साधना पथ से विचलित कर देता हैं | इन सब विघ्नों से बचते हुए भगवान को प्राप्त करना चाहिए |

आपका दास
नारद प्रिय दास

सूर्य ग्रहण से एक दिन पहले

हरे कृष्ण

सूर्य ग्रहण से एक दिन पहले भैया (श्री कृष्ण चरण दास जी) ने हमे कुछ नियम बताये थे | सूर्य ग्रहण के समय करने के कुछ नियम जैसे :-

१. ग्रहण के समय से 12 घंटे पहले सूतक माना जाता है इस समय कुछ खाना और पीना नहीं चाहिए |
२. ग्रहण के समय भगवन के मन्त्र का अधिक से अधिक जप |
३. ग्रहण के समय भगवन के विग्रह को स्पर्श नहीं करते |
४. ग्रहण के समय कुछ खाए और पिए नहीं |
५. ग्रहण के समय किया गया जप लाख गुना फल देता है |
६. ग्रहण के समय जिस मन्त्र का जप किया जाता है वो मन्त्र जापक के लिए सिद्ध हो जाता है |

भैया (श्री कृष्ण चरण दास जी) ने कल 21/07/09 की एक घटना के बारे में हमे बताया | शाम को 5:30 बजे से सूतक शुरू होने वाला था भगवान को भोग लगाने के लिए अभी कुछ नहीं बना था , भैया परेशान थे की ठाकुर जी को 5:30 से पहले अगर भोग नहीं लगाया तो कल सुबह 11:00 बजे तक ठाकुर जी भूखे ही रहेंगे | इस बात को भैया अभी 5:23 बजे सोच ही रहे थे की ठाकुर जी को किस चीज का भोग लगाया जाये , अभी भोग लगाने के लिए कुछ नहीं था , भैया भगवान के लिए मिश्री का भोग लेने के लिए जा ही रहे थे की वृन्दावन वहां पर आ पहुंचे | उनके पास डिब्बे में कुछ था , उन्होंने भैया से कहा मैं ठाकुर जी के लिए घेवर लाया हूँ | इतना सुनते ही भैया ने कहा आपके पास केवल 5 मिनट है उसमे आपको भगवान को भोग लगाना और उनको शयन भी करना है | इस तरह से भगवान को सूतक लगने से पहले भोग भी लग गया और उनको शयन भी करा दिया गया | ऐसी है भगवान की महिमा जब भक्त के मन में ठाकुर जी के लिए भावः होते है तो ठाकुर जी किसी न किसी तरह से उसको सेवा का मौका दे ही देते है |

हरे कृष्ण हरी बोल राम राम भोले नाथ की जय ||

आपका दास
नारद प्रिय दास

शिव रात्री की धूम श्रीमन नारदीय मिशन में.....

हरे कृष्णा
सभी भक्तो को,

श्रीमन नारदीय भगवत मिशन में शिव रात्रि का पर्व बड़ी ही धूम धाम से मनाया गया सर्वप्रथम मंदिर में नित्य की तरह संकीर्तन हुआ उसके बाद हमारे भैया (श्री कृष्ण चरण दास) जी ने शिव रात्रि का महात्मय बताया और उससे जुडी हुई उगना की कथा बतलाई :- ये कथा बिहार राज्य की है , जहाँ एक ब्रह्मण(विद्यापति मिश्र) अपनी पत्नी के साथ रहता(विद्यापति मिश्र) अपनी पत्नी के साथ रहता था जोकी बहुत बड़े शिव भक्त थे, प्रतिदिन के कर्म में जप, पाठ, ध्यान, पूजा, दान नियम से करते थे पर उनकी आर्थिक स्थति ठीक नहीं थी और साथ ही कोई संतान भी नहीं थी, और इस बात का उन्हें कोई गम भी नहीं था, एक दिन एक पुरुष ब्रह्मण के द्वार पर आकर शिव स्तुति गाने लगा, ब्रह्मण परिवार शिव स्तुति गाने वाले को द्वार पर देखने गए और उसे देखते ही मुगद हो गए 7 फीट का सुंदर जवान पुरुष जिसकी लम्बी-२ जटाए है, श्वेत वस्त्र पहने हुए और मुख मंडल पर एक सुन्दर सी आभा झलक रही थी, उस सुंदर पुरुष ने ब्रह्मण से कहा में आपके यहाँ काम करना चाहता हूँ तब ब्रह्मण ने कहा ये तो ठीक है पर हमारे यहाँ पर आपको आपकी सेवा के बदले देने के लिए कुछ भी नहीं है, तब उस सुंदर पुरुष ने कहा मुझे बस दो वक्त की रोटी के सिवाय और कुछ भी नहीं चाहिए, तब ब्रह्मण ने उस सुन्दर पुरुष से पूछा के हे सुंदर पुरुष आपका नाम क्या है ? तो उस सुंदर पुरुष ने कहा मेरा नाम उगना है, इसके बाद ब्रह्मण परिवार उगना को घर के अन्दर ले गए, उगना पूर्ण निष्ठा भावः से ब्रह्मण परिवार के सेवा करने लगा, उगना सुबह के समय ब्रह्मण के पूजा के सारे बर्तन साफ़ करता और चडाने वाले जल की व्यवस्था और पूजा की नित्य पूरी व्यवस्था करता और दिन के समय ब्राह्मणी के रसोई कार्यो में मदद करता, पीने और नहाने के लिए जल की सेवा देता और देर रात्रि तक ब्रह्मण और ब्राह्मणी के पैर दबाता एक दिन ब्रह्मण के मन में बैजनाथ के दर्शन की इच्छा हुई तो उसने उगना और अपनी अपनी पत्नी को बताया, और बैजनाथ की और रुख किया, साथ में उगना को भी लिया, साथ में कुछ खाने और पीने के लिए गंगाजल साथ में लिया क्योकि ब्राह्मण देवता केवल गंगाजल ही पिया करते थे, यात्रा लम्बी होने के कारण जल जल्द ही खत्म हो गया तो ब्राह्मण देवता ने पानी पीने के इच्छा हुई पर बीहड़ जंगल में होने के कारण उन्हें इस बात का ज्ञान तो था की यहाँ पर गंगाजल तो नहीं मिल पायेगा और यात्रा पूरी करने के लिए जल जरुरी है तो उन्होंने उगना से सादा पानी लाने को कहा, तो उगना पानी लेने के लिए जल्द ही वहाँ से चला गया और कुछ ही देर बाद वह जल लेकर आ गया तो उसने उगना से कहा तुम इस बीहड़ जंगल में इतनी जल्दी कहा से जल लेकर आये हो, तो उगना ने कहा पास ही नदी से जल मिल गया, इस बात को मानकर ब्रह्मण ने जल पिया और जल पीते ही वो चौक गए और बोले अरे ये तो गंगाजल है तो उन्होंने कहा :- उगना तू सच-२ बता इस बीहड़ जंगल में गंगाजल कहा से लेकर आया है तो उगना ने कहा हूँ तो पास से ही लेकर आया हूँ और तरह-२ के बहाने बनाने लगा तो ब्रह्मण ने उगना का हाथ पकड़ कर पूछा तू सच-२ बता तू कोई जादूगर तो नहीं, तू कोन है मुझे सच-२ बता अपने बारे में तभी उगना का स्वरुप बदल गया, अब उसके शरीर से एक सुंदर सी आभा निकल रही थी और पिंगल जटाएं घुटनों तक लटक रही थी और उन्ही जटाओं में से गंगा की तीव्र धरा बह रही थी , शरीर पर बाघम्बर , हाथ में त्रिशूल, कर्णौ में सर्प कुंडल धारण किये हुए, मस्तक पर चन्द्र, गले रुद्राक्ष की माला और वासुकी धारण किये हुए कर्पुर के सामान गोरे भगवान नीलकंठ त्रिनेत्र धारी महाशिव बिम्ब फल से सामान लाल -२ होठो से मुस्कराते हुए प्रेम से लिप्त मधुर गम्भीर वचन बोले : मैं शिव, जिसकी आप प्रतिदिन आराधना करते हो आपके प्रेम-वश के कारण आपके पाश में आपके पीछे -२ यहाँ तक चला आया हूँ क्या आपने मुझे पहचाना ? इतना सुनते ही ब्रह्मण भगवान के श्री चरणों में गिर पड़ा और उसके नेत्रों से अश्रुओं की धारा फ़ुट पड़ी और ब्रह्मण अवरुद्ध कंठ से बोला : हे नाथ आपके सिवा इस ब्रह्माण्ड में मैं और किसी को जनता तक नहीं, आप ही तो मेरे आराध्य है आप हमेशा मेरे साथ रहे और मुझ नीच ने आपको पहचाना तक नहीं और इसके अलावा आपसे दिन प्रतिदिन सेवा और लेता रहा , मुझ नीच को क्षमा कर दीजिये इतना कहने पर भगवान ने उनको अपने गले से लगा लिया भक्त और भगवान एक दुसरे के प्यार में तृप्त हो गए वहां एक अभूतपूर्व प्रेम और शांति का वातावरण बन गया , ब्रह्मण बोले : हे नाथ मैं अब और कहीं नहीं जाना चाहता , जब मेरे गोरे ठाकुर जी साक्षात् मेरे साथ हैं तो मैं और कहीं दर्शन के लिए जाना नहीं चाहता इतना सुनते ही भगवान ने उन्हें फिर से गले से लगा लिया भगवान बोले विद्यापति अब मेरे जाने का समय हो गया है , तभी ब्रह्मण ने फिर से चरणों को पकड़ लिया और कहा नहीं नाथ में आपको जाने नहीं दूंगा इतनी मुदतो बाद तो मिले और जाने की बात करते हो, मैं अब आपको अपने से आलग नहीं होने दूंगा, यदि आप मुझसे अलग हुए तो मैं आपने प्राणों का त्याग कर दूंगा, भगवान मुस्कराए और कहा :- मैं एक ही शर्त पर आपके साथ रह सकता हूँ यदि आप मेरे इस परिचय को छुपा कर रखे तो ही मैं आपके साथ रह सकता हूँ , इतना सुनते ही ब्रह्मण ने कहा मुझे यह शर्त मंजूर है इसके बाद भक्त और भगवान दोनों घर की और लौट गए घर के द्वार में घुसते ही ब्राह्मणी ने कहा आप दोनों तो बैजनाथ के लिए गए थे, इतनी जल्दी कैसे आ गए तब ब्रह्मण ने उगना(भगवान) की और देखकर कहा दर्शन तो मैं कर आया, ब्राह्मणी ने कहा भला इतनी जल्दी भी कोई बैजनाथ से वापस आया है क्या ? अब घर का वातावरण कुछ और ही था, ब्रह्मण अब किसी और ही धुन में दिखाई देते थे, उनका अब सारा ध्यान उगना(भगवान) पर ही केन्द्रित था, अब सारा समय उगना के साथ ही बिताते थे, खाते पीते, उठते बैठते बस अब उगना ही उगना था जिसके कारण ब्राह्मणी को बहुत परेशानी होने लगी, और परेशानी का कारण था उगना, क्योंकि अब सब कुछ बदल चुका था पहले उगना (भगवान) ब्रह्मण परिवार के पश्चात भोजन करता था , लेकिन अब उगना (भगवान) ब्रह्मण के साथ भोजन लिया करता था और कभी कभी ब्रह्मण देवता उगना (भगवान) की पात से कुछ भोजन उठा कर खाने लगते थे , ब्रह्माणी इसको देख कर सकपका जाती थी पर कुछ बोले नहीं पाती थी एक दिन रात के समय ब्रह्मण को उगना (भगवान) के चरण दबाते देख, तो उसका पारा सातवे आसमान पर चढ़ गया , उसी दिन उसने उगना (भगवान) को सबक सिखाने की सोची एक दिन ब्रह्मण उगना (भगवान) के सामने ध्यान लगा रहे थे तभी ब्रह्माणी ने रसोई की ओर से उगना (भगवान) को आवाज़ दी ओर उगना (भगवान) रसोई की ओर उठ चला और ब्रह्मण देवता अपने ध्यान में चले गए बाहर जाकर उगना (भगवान) ने ब्रह्माणी से पूछा माँ कुछ काम था क्या मुझसे ? उसने उगना (भगवान) की न सुनते हुए चूल्हे से एक जलती हुई बड़ी लकडी निकाल कर उगना (भगवान) को पीटना शुरू कर दिया और भगवान चुप - चाप मार खाते रहे की तभी ब्रह्मण ने ध्यान में भगवान को कष्ट में देखा और तत्काल ही उनका ध्यान टूट गया और विचलित होकर उन्होंने उगना (भगवान) को पुकारते हुए घर के बाहर की ओर आये, बाहर का द्रश्य देखकर उनके पैरो तले जमीन सरक गयी, उन्होंने ब्रह्माणी की जलती हुई लकड़ी पकड़कर एक ओर फैंक दी और कहा अरी पापिन ये तुने क्या किया, साक्षात् भगवान शिव तुम्हारे आगंन में पधारे हुए है ओर तुम उन्हे ही मार रही हो, इतना सुनते ही भगवान अंतर्ध्यान हो गए ब्रह्मण, ब्रह्माणी को बहुत ही पश्चाताप हुआ की हमसे ये क्या हो गया ब्रह्मण को तो इस बात का बहुत ही दुःख हो रहा की मैंने तो खो दिया है, वो इस वियोग में पागल से हो रहे थे ओर बार-२ इस वाक्य को दोहराते रहते थे.............. मोर उगना कित गयेला, मोर उगना कित गयेला, मोर उगना कित गयेला, मोर उगना कित गयेला.

इसके उपरांत रात्रि 11 बजे से शिव रात्रि का संकीर्तन शुरु हुआ ओर रात भर शिव स्तुति, संकीर्तन चलता रहा और सभी भक्त -गढ़ शिव आनंद में डूबते रहे, शिव गान, आरती ये सब का आनंद ले रहे थे 4 बजे प्रसाद वितरण के बाद सभी आपने-२ घरो की ओर चले गए |


आपका दास
राधा माधव दास

बद्रीनाथ यात्रा

हरे कृष्णा
सभी भक्तो को,

वो दिन बहुत ही पास आ गया है जब हम बद्रीनाथ की यात्रा करेगे यानी 24 जुलाई, इस तारीख को मन में सोचते ही एक अजीब सी ख़ुशी होती है की हम बद्रीनाथ धाम के दर्शन करेगे और उनकी कृपा को प्राप्त करेगे, हम ठाकुर जी से प्रार्थना करते है की वो हम सब पर कृपा करे और हमारी भक्ति को सुद्रढ़ करे |

हरे कृष्णा.......

सहस्रनाम प्रभु का सत्संग

हरे कृष्ण

कल शाम सहस्रनाम प्रभु का सत्संग सुनने का सोभाग्य प्राप्त हुआ | उनके बारे में कुछ बताना चाहता हूँ , श्री नारदीय भगवत मिशन के कृष्ण परिकर में दो नाम और जुड़े है | नरोत्तम प्रभु और सहस्रनाम प्रभु , ये दोनों भक्त एक दुसरे से बढ़कर है | सहस्रनाम प्रभु का स्वभाव तो बहुत ही चंचल और नरोतम दास प्रभु का स्वभाव बहुत ही शान्त |
कल सहस्रनाम प्रभु ने हमे भगवत भक्ति के एक सुद्रढ़ स्तंभ की कथा सुनाई उनका नाम है धन्ना जाट जी | धन्ना जी का चरित्र बताते समय उनका चेहरा बहुत ही शांत और प्रसन्न लग रहा था | उन्होंने ऐसे कथा सुनाई जैसे उन्होंने स्वयं धन्ना जी को देखा हो | ऐसा लग रहा था मानो ठाकुर जी अपने भक्त के बारे में बड़े ही प्यार से चर्चा कर रहे हो | उनके द्वारा बताया गया धन्ना जी का चरित्र भक्तो की आँखों के सामने चल रहा था | सभी को उनका सत्संग बहुत ही मन भाया , रघुनाथ जी और मैं (नारद प्रिय दास) उनके सत्संग और निश्चलता को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए |

उनके बारे में श्री कृष्ण चरण दास प्रभु ने बहुत ही अच्छा बताया | " ये बहुत ही उच्च कोटि के भक्त है जैसे लोग कहते है " पूत के पांव पालने में नजर आ जाते है " वैसे ही इनको मिशन में आये हुए अभी बहुत ही कम दिन हुए है लेकिन इनकी भक्ति बहुत ही दृढ है ये आगे जाकर बहुत ही बड़े भगवत भक्त बनेगे | "

हरे कृष्ण

सदैव जपे हरि नाम और जाये भगवत धाम ||

आपका दास
नारद प्रिय दास
18/07/2009

Narad ji's Birthday Clip

Hare Krishna

Narad ji's Birthday clip has been uploaded on Youtube Please See the video on youtube, its the previous year's clip . This is only for testing perpose after this we will upload the mission's trip to Shri Vrindavan with Satchidanand prabhu.

first clip on this page :
http://www.youtube.com/watch?v=pDworMKFHq0
Second clip on this page :
http://www.youtube.com/watch?v=C8L5GVOUKxM

Or you can search in youtube for naradiyamission and you will get the same video

if any bhakt having the Clip or Image related to mission please give the clip to Narad ji Or Radhamadhav Prabhu

AS SOON AS POSSIABLE

Hare Krishna

एक और नए ग्रुप का जन्म


हरे कृष्णा सभी भक्तो को हमारे परिवार (श्रीमन नारदीय भगवत मिशन) मे वैकुण्ठ परिकर के अलावा एक और नए ग्रुप का जन्म हुआ, जिसका नामकरण हमारे प्रिय भैया (श्री कृष्ण चरण दास) जी के द्वारा किया गया । उस ग्रुप का नाम कृष्ण परिकर रखा गया । इस ग्रुप मे 7 सदस्य है, जिसमे प्रमुख श्री माधव प्रभु और विदुर प्रभु जी है ।

हरे कृष्णा ।

गुरु जी का जन्मदिन 10/05/2009

हरे कृष्णा
१०/०५/२००९ को मिशन ने गुरु जी का जन्मदिन बड़ी धूम धाम से मनाया गया प्रोग्राम के शुरू होने से ठीक पहले इन्द्र देव ने भक्तों की परीक्षा ली आकाश में काले बादलों ने अपना जमावडा लगा दिया था, जिसे देख कर कृष्णा प्रभु ने राम नाम का जप, उदित कृष्ण ने हरि नाम जप चालू कर दिया, बाकि सभी भक्त भगवान से प्रार्थना कर रहे थे की भगवान जी आज वर्षा ना हो और सब भक्तों की प्रार्थना को भगवान ने सुन भी लिया । उसके तुंरत बाद बहुत तेज हवा चली जिससे वातावरण ठंडा हो गया
प्रोग्राम गुरु जी की स्तुति से आरम्भ हुआ उसके बाद माधव प्रभु और रासबिहारी प्रभु ने प्रोग्राम के बारे मैं पूर्ण जानकारी दी और उसके बाद प्रोग्राम चालू हुआ सबसे पहले भगवती प्रभु ने संकीर्तन से प्रोग्राम की शुरुआत करी उसके बाद सचिन भैया की बेटी ने एक भजन पर नृत्य किया, उसके बाद हमारी दीदी मीरादासी, वैष्णवी, और विष्णुप्रिया ने "इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से निकले" भजन गाया उसके बाद वैकुण्ठ परिकारों के साथ चैतन्य प्रभु ने एक बहुत ही प्यारा भजन "नींद न आये रे" गाया इसके बाद रत्नाकर डाकू (वाल्मीकि जी) के ऊपर नारद जी की कृपा कैसे हुई, इसके ऊपर एक नाटक भगवती प्रभु और कृष्णा प्रभु ने प्रस्तुत किया, कृष्णा प्रभु बिलकुल नारद जी का स्वरुप लग रहे थे । उनके संवाद बहुत ही प्यारे लग रहे थे । ये सारे संवाद मीरादासी दीदी ने लिखे थे पर भगवान ने हमारी परीक्षा और लेनी थी । इसके बाद जनरेटर भी ख़राब हो गया नाटक पूरा भी नहीं हुआ और बीच मैं ही लाइट कट गई उसके बाद बिना लाइट के ही भगवती प्रभु ने संकीर्तन प्रारंभ कर दिया उनका साथ देने के लिए सभी भक्तो ने उनके साथ संकीर्तन शुरू कर दिया उसके बाद भैया (श्री कृष्ण चरण दास) जी ने मोर्चा संभाला और सभी भक्तो ने भी उनका साथ पूर्ण रूप से दिया, सभी भक्त श्री राधे श्याम सुन्दर के आनंद मे सराबोर हो रहे थे, और जो लोग प्रोग्राम को देखने आये हुए थे वे भी भक्ति आनंद के सागर मे गोता लगा रहे थे इस आनंद का हम आपको क्या वर्णन करे, और ये सब लाइट न होने के बीच का माहोल था सब लोगो ने प्रोग्राम को बहुत इंजॉय किया उसके बाद प्रसाद का वितरण किया गया और सब भक्तो ने प्रसाद ग्रहण करके घर को पलायन किया ।

"हरे कृष्णा"

07/05/09 रामदास प्रभु का सत्संग

07/05/09

हरे कृष्णा

रामदास प्रभु ने भगवत प्राप्ति के लिए गोपिओं का उदाहरण दिया था उसके कुछ कण प्रस्तुत कर रहा हूँ, गोपियाँ अपने प्रभु के लिए सब कुछ छोड़ कर उनकी सेवा में ही अपना आनंद समझती थी । वे हमेशा भगवान के बारे में ही सोचा करती थी । उन्होंने एक भजन भी सुनाया था, जिसका तात्पर्य था की श्याम जब वृन्दावन को छोड़ कर मथुरा जा रहे थे, तो गोपियाँ उनके लिए कितनी व्याकुल थी ।


उनके मुख से भजन सुन कर बड़ा ही आनंद आया शेष कल.......


नारद प्रिय दास ।

श्री भगवती प्रभु के अमृत वचन


हरे कृष्णा

भगवती प्रभु के अनुसार इस संसार का सार कोई नहीं पा सकता, केवल हमारे ठाकुर जी को ही पता है, भगवती प्रभु से मेरी दो दिन पहले भगवत चर्चा हो रही थी उसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ :
1). संसार मैं कोई वस्तु भगवान से अधिक मूल्यवान नहीं है

2). इस संसार में भगवान को पाना ही मनुष्य का एक मात्र लक्ष्य होना चाहिए, क्योकि मनुष्य का जन्म हमें भगवान को पाने के लिए ही मिला है
3). मनुष्य में ही इतनी बुद्धि होती है कि उसको भगवान का ज्ञान हो सकता है जानवर को सिर्फ जीवन की 4 मूलभूत आवश्कताओं के बारे में ही पता होता है ये 4 आवश्कताएँ है !
(१) आहार , (२) निद्रा , (३) भय , (४) मैथुन
जानवर को भूख लगती है, उसको निद्रा आती है, उसको भय लगता है, उसको किसी मादा जानवर की जरुरत होती है, मगर उसमे इतनी बुद्धि नहीं होती की वो भगवान का नाम एक बार भी ले सके, सिर्फ मनुष्य को ही भगवान का नाम लेने का अधिकार है, और हम इतने बुद्धिमान होने के बावजूद जानवर को अपने से अधिक फ्री (स्वतंत्र) समझते हैं, जानवर की देह को भोग देह कहा जाता है, मतलब पशु योनी में हम अपने किये कर्मो को भोग सकते हैं कोई नया कर्म नहीं कर सकते, जबकि मनुष्य कोई नया कर्म करने में सवतंत्र है, तो हम अपने कर्मो की सहायता से भगवान को भी पा सकते हैं और अगर हम चाहे तो दोबारा पशु योनी भी प्राप्त कर सकते है, तो चुनाव हमारा है (THE BALL IS IN OUR CORT)

4). अगर हमने इस जन्म में भी भगवान को नहीं पाया तो फिर क्या पाया, क्योंकि जो भी हमने पाया वो सब इस संसार में ही रह जायेगा कुछ भी हमारे साथ नहीं जायेगा केवल भगवान का नाम ही हमारे साथ जायेगा लेकिन वो तो हम लेना नहीं चाहते, तो अवश्य ही हमारी दुर्गति होनी हैं यह निश्चित है की अगर हम भगवान का नाम नहीं लेते तो हम इस संसार से खाली हाथ ही जायेंगे जब हम मरने के बाद यमलोक जायेंगे तो हमारे सारे कर्मो का लेखा जोखा देखा जाता है उसके बाद ही ये निश्चित होता है की हमे कौन सी योनी मिलेगी और कितने समय के लिए

5). इस संसार में एक ऐसे देवता है जो न चाहते हुए भी सबको दर्शन देते है उनका नाम है यमराज जी महाराज अगर हम किसी देवता को देखना चाहते है तो उसके लिए हमे उस देवता की पूजा करनी पड़ती है, उनको प्रसन्न करना पड़ता है, मगर यमराज इतने दयालु देवता है की वो हमे ना चाहते हुए भी दर्शन देते हैं, और मरे हुए इन्सान को भी मौत आ जाये ऐसा दर्शन देते है और अगर वो उस इन्सान के ऊपर प्रसन्न हो जाये तो उसको इस संसार में कोई भी उनके प्रकोप से बचा नहीं सकता वे उस जीव को घोर यातना देते हैं और उसको पवित्र करके मनुष्य योनी प्रदान करते हैं यमराज जी भगवान के परम प्रिय भक्त है, देखो भगवान के भक्त इतने दयालु है की बिना मांगे दर्शन देते है तो हमारे भगवान कितने दयालु होंगे
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नारद प्रिय दास

Narad ji's Birthday on 10th of May 2009 At Shalimar Garden At B - Block Park

Hare Krishna
We are going to celebrate the birthday of our Guru ji, on 10th of May 2009, At B - Block Park , Shalimar Garden, Sahibabad, Ghaziabad, U. P. 201005
You are invited in the birthday of Our Guru ji.

Contact No. Are
Madhav : 9811204767
Chaitanya : 9015420931
Krishna : 9999801087

Always Chant the devine Name & be Happy...

Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare
Hare Ram Hare Ram Ram Ram Hare Hare

भैया श्री कृष्णा चरण दास जी

हरे कृष्णा !

हमारे मिशन के भैया श्री कृष्णा चरण दास जी हैं । व्यवसाय से वे एक अध्यापक है जो Account और B. Com से सम्बंधित शिक्षा प्रदान करते हैं । मिशन के सामान्य और प्रमुख निर्णय आप के द्वारा ही लिए जाते हैं । मिशन में नए भक्त का नामकरण भी वे ही करते हैं । हम सभी भक्तो का नामकरण भी उनके द्वारा ही हुआ है ।

आप का जन्म राजस्थान के झुंझुनू जिले में हुआ था । आप की शिक्षा शालीमार गार्डन में हुई । आप पढने मैं बहुत ही तेज थे । आप को सभी अध्यापक बहुत ही प्यार करते थे । आप का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक और प्रभावित करने वाला है, जो भी आप से एक बार मिलता है वो आप से बार बार मिलने की इच्छा करता है ।

उनके बारे में मैं और अधिक क्या बता सकता हूँ, इस समय वे ही साक्षात् नारद जी के समान हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं । वे ही हमें भक्ति और ज्ञान के उपदेश करके मेरे जैसे मूर्खों का उद्धार कर रहे हैं । हम सबको भगवान का प्यार प्रदान कर रहे है और हम को भगवान के प्यारे बना रहे हैं । हम सब भक्त किसी न किसी तरह उनके शिष्य रह चुके है । मैं और मेरे कई मित्र भक्त उनके पास अकाउंट की शिक्षा प्राप्त कर चुके हैं । मिशन में उनको सब भक्त भैया कह कर के पुकारते हैं । उनकी वाणी बहुत ही प्रभावित करने वाली है ।

हरे कृष्णा

मैं आप को अपने मिशन के बारे मैं विस्तार से बताऊंगा!हमारे मिशन मैं बहुत सरे भक्त है!
कृष्णचरण दास जी, कृष्णा प्रभु, हनुमान प्रभु, भगवती प्रभु, रघुनाथ प्रभु, माधव प्रभु, चैतन्य प्रभु, विष्णु प्रभु
मिशन के प्रबंधक कृष्णा प्रभु, मिशन के शिक्षा गुरु हनुमान प्रभु, एवम कृष्णा प्रभु!
मिशन मैं 4 ग्रुप बनाये गए हैं इनके शिक्षा गुरु हैं!
1. कृष्णा प्रभु,
2. हनुमान प्रभु एवम चैतन्य प्रभु
3. रघुनाथ प्रभु एवम रासबिहारी प्रभु
४ भगवती प्रभु
हर एक ग्रुप मैं कम से कम ६ से ७ बच्चे शिक्षा गुरु की निगरानी मे भगवत भक्ति की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं!

हरे कृष्णा
सदैव जपे हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे!
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे!