16 August 2009 पहला उमंग उत्सव|

हरे कृष्णा,

16 अगस्त को मिशन ने अपना पहला उमंग उत्सव मनाया| उसके कुछ अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ| उमंग उत्सव में जो संकीर्तन किया गया उसको करके सबका दिल ख़ुशी से झूम उठा| संकीर्तन इतना भव्य था कि क्या कहना, सभी भक्त संकीर्तन में नृत्य कर रहे थे| सब इस बात से बहुत खुश थे कि मिशन का पहला उमंग उत्सव था, पर जैसा के अब तक होता आया है भगवान ने इस बार भी हमे बहुत सताया| सुबह से ही बारिश हो रही थी| सुबह 8 बजे से लाइट नहीं थी, जिसके कारण इन्वेर्टर भी काम नहीं कर रहा था| जैसे - तैसे बैटरी का प्रबंध किया गया जिससे शाम का संकीर्तन हुआ| उसके बाद भारत जी का चरित्र का नाट्य रूपांतरण किया गया| जिसका सारा श्रेय रासबिहारी प्रभु को जाता है| उन्होंने नाटक का सारा जिम्मा ले रखा था, नाटक के लिए पात्र चुनना और उनको सही-सही मार्गदर्शन करना सब उनका काम था| ये उन्ही की मेहनत का फल था जो नाटक इतना अच्छा हुआ की सबकी आँखों में आंसू आ गए| उसका वर्णन में नहीं कर पाउँगा, जो उस नाटक को देख पाया उसने समझा है की भारत जी का चरित्र कैसा था कोई राम जी से इतना प्यार कैसे कर सकता है, आज के युग में जो भाई दुसरे भाई के दुःख में साथ नहीं देता, अगर आज भाई भाई में इतना प्यार हो जाये तो ये पृथ्वी वापस स्वर्ग बन जायेगी|

भरत जी के बारे में मैं आपको क्या बताऊ पर नाटक को देख कर ऐसा लगा जैसे साक्षात् भरत जी हमारे सामने खड़े हो| वृन्दावन प्रभु ने भरत जी का चरित निभाया| वो साक्षात् भरत जी लग रहे थे| बस इसके बाद मैं और कुछ नहीं कह सकता क्योंकि भरत जी के चरित्र का वर्णन करना राम जी के बस में नहीं तो मैं किस खेत की मुली हूँ|
बस इतना कह सकता हूँ के भरत जैसा भाई इस संसार मैं पहले कभी नहीं हुआ, न है, और न कभी होगा|

भरत जी महाराज की जय
हरे कृष्ण
आपका दास
नारद प्रिय दास