हरिद्वार में श्रीमन नारदीय भगवत मिशन

हरे कृष्ण
प्रभु जी ऋषिकेश के बाद हम सब हरिद्वार में 27 रात को पहुँच गए| उसके बाद खाने के लिए एक होटल वाले से कहा गया के खाना बिना प्याज और लहसुन का होना चाहिए| लेकिन उसने गलती से या जैसे भी कहो उसमे प्याज डल गया, सभी भक्त उस खाने को छोड़ कर चले आये| उसके बाद हमारे रहने का इंतजाम बहुत ही सुन्दर घर में हुआ, जहाँ हमे खाना बनाने के लिए सभी सामान मिल गया(हमारे रहने का प्रबंध कनखल में हुआ)| उसके बाद बहनों ने रात में सबके लिए चावल और नमकीन से खाना बनाया और हम सब को रात का खाना मिला| उसके बाद ये निश्चित हुआ के खाना हम सब घर पर ही खाया करेंगे| बहनों ने इस बात की जिम्मेदारी ली| 28 तारीख को सुबह हम सब दक्ष्शेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए गए| उनके दर्शन करने के बाद हम सब ने दक्ष यज्ञ की कथा सुनी| दोपहर को सब ने खाना खाया और उसमे सेवा दी| शाम को हमने सप्त द्वीप में कई मंदिरों के दर्शन किये पर सबसे अधिक प्रणामी सम्प्रदाय का मंदिर लगा| हमने कनखल में नगर संकीर्तन भी किया, रात को हमने स्वामीनारायण मंदिर (कनखल) में संकीर्तन किया जिससे वहां के पुजारी बड़े ही प्रस्सन हुए| 29 तारीख को हमने चंडी देवी और अंजना माँ (हनुमान जी की माता जी) के दर्शन किये| अंजना माँ के मंदिर में हमने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया| वहां की चढाई बहुत ही खड़ी है उसके लिए हमे बहुत समय लगा| हम सब हर की पोडी पर स्नान करने गए गंगा माँ को देखकर कितना अच्छा लगा कहा नहीं जा सकता| गंगा माँ में स्नान करते करते हमे काफी समय हो गया| उसके बाद हमने शाम को गंगा जी की आरती देखी उसको देखकर ऋषिकेश (परमार्थ निकेतन) की याद आ गयी| उसके बाद शाम को घर पर ही संकीर्तन हुआ| 30 तारीख को हमने मनसा देवी के दर्शन किये, उसके लिए चैतन्य प्रभु ने उड़न खटोले का प्रबंध किया था| जिससे बहुत जल्दी हमने मनसा माँ के दर्शन कर लिए| शाम को हमने संकीर्तन किया| 31 तारीख को सुबह हम सब शुक्र ताल के लिए रवाना हुए जहाँ पर शुक देव महाराज ने परीक्षित जी को भगवत की कथा सुनाई थी| वहां बहुत ही शांति थी और सबको बड़ा ही अच्छा लग रहा था| सबने वहां गंगा माँ में स्नान किया और नगर संकीर्तन भी किया| संकीर्तन करते-करते हम मंदिर गए और शाम को खाना खाकर घर के लिए रवाना हुए| रात लगभग 2 बजे के आस पास हम शालीमार गार्डन पहुंचे| सभी भक्त बहुत थके थके से लग रहे थे पर सभी के मुख पर एक विशेष आभा चमक रही थी| सभी बहुत दुखी थे कि अब सब भक्तो से बिछड़ना पड़ रहा है और सब शाम को ही मिल पाया करेंगे| सभी भक्त ये सोच रहे थे के काश सब भक्त एक साथ रह सकते हमेशा हमेशा के लिए| भगवान ने अगर चाहा तो एक न एक दिन ऐसा भी आएगा जब सब भक्त एक साथ रहेंगे|

हरी बोल| हरे कृष्ण||

आपका दास
नारद प्रिय दास