ऋषिकेश में धूम


हरे कृष्ण

इतने दिनों तक कुछ update नहीं करने के लिए प्रभु जी मैं आप से क्षमा चाहता हूँ, इसमें मेरी ही कमी है मेरा ही आलस है जो मैं अपनी सेवा नहीं दे सका, आप से प्रार्थना है की आप सब मेरे लिए प्रभु से प्रार्थना करे कि मैं आलस को त्याग कर अपने कर्त्तव्य को पूरा कर सकूँ| हरि बोल

अब मैं आपको मिशन के ऋषिकेश और हरिद्वार के trip के बारे में बताना चाहता हूँ|

हमारा मिशन 24-07-09 को ऋषिकेश के लिए रवाना हुआ| सुबह लगभग 10 बजे के आस पास ऋषिकेश पहुंचे, उसके बाद गीता भवन हॉल न. 5 भगवन ने हमारे लिए बुक करवा दिया| हम 45 लोग जिसमे बहने और माताएं भी शामिल थी सब के लिए अलग अलग कमरा मिल गया| उसके बाद 25 तारीख लगभग आराम करने में बीती| शाम को हमने ऋषिकेश के बाजार और गंगा जी के घाट पर हरि नाम संकीर्तन की धूम मचा दी| जो भी संकीर्तन को सुनता वो ही झुमने लगता| गीता भवन हॉल न. 1 में हमने काफी देर तक संकीर्तन किया, गीता भवन के सभी लोग संकीर्तन में मस्त हो गए| शाम को 7:30 बजे हमने परमार्थ निकेतन में गंगा जी कि आरती देखी इतनी शांत और भव्य आरती हमने पहले कभी नहीं देखी थी| सभी भक्त गंगा माँ से बाते कर रहे थे, सब के मुख पर एक अजीब सी शांति और आनंद झलक रहा था| ऐसा लग रहा था जैसे गंगा माँ साक्षात् हमारे सामने खड़ी हो, बहुत ही सुन्दर द्रश्य था| जब तक हम ऋषिकेश में रहे उतने दिन हम परमार्थ निकेतन की गंगा माँ की आरती के दर्शन करते रहे|

26-07-09 को हमारा प्लान नीलकंठ भगवन का दर्शन करने का था| परन्तु जैसा भगवान चाहते है वैसा ही होता है| हमारी पूरी तैयारी होने के बावजूद हम उस दिन केवल ऋषिकेश में संकीर्तन ही कर सके, इससे सारे भक्त बड़े ही उदास हो गए| उस दिन हमने कालीकमली वाले आश्रम में संकीर्तन किया|

27 तारीख को कृष्ण चरण दास जी ने हमे भगवान के प्लान के बारे में बताया, हुआ ये कि 26 तारीख को रविवार था, और भगवान हमे अपने दर्शन सोमवार को देना चाहते थे, क्योंकि वो सावन का चौथा सोमवार था| इस बात को सुनते ही सब भक्तो का मन इतना खुश हो गया और सबका जोश दुगना हो गया| सुबह हम सब गाड़ी में बैठ कर नीलकंठ महादेव के लिए रवाना हो गए| वहां पहुँच कर सब ने महामंत्र की जगह ॐ नमः शिवाय का संकीर्तन किया जिससे भगवान शंकर के सभी भक्त बहुत ही खुश हुए और हमे उन सब भक्तो का आशीर्वाद प्राप्त हुआ| कई भक्त तो हमारे साथ ही शामिल हो गए और भगवान का संकीर्तन करने लगे| सब ने हमारे संकीर्तन की सराहना की और कहा की इतनी छोटी उम्र में भगवान का भजन करने वाले बच्चे उन्होंने पहले कभी नहीं देखे| वहां पहुँच कर इतनी लम्बी कतार को देखकर सभी भक्त परेशान हो गए, सबका जोश ठंडा पड़ने लगा, परन्तु महादेव प्रभु ने कुछ जुगत लगा कर सब को लाइन में लगा लिया, जिससे 5 घंटे की प्रतीक्षा की जगह 1 घंटे में ही सब भक्तो को भगवान नीलकंठ के दर्शन हो गए, और सभी ने भगवान नीलकंठ का धन्यवाद किया, जिनकी कृपा से हम सब उनके दर्शन कर सके| बोलो नीलकंठ भगवान की जय| सोमवार को हमे भगवान नीलकंठ के प्रताप से परमार्थ निकेतन के स्वामी श्री चिदानंद सरस्वती जी महाराज के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ|

27 तारीख शाम को ऋषिकेश से हरिद्वार जाना था, इसलिए हमने पूरा समय संकीर्तन और भगवान नाम जप में व्यतीत करने का निश्चय किया| वैसे लगभग सभी भक्त महामंत्र की 108 और कई तो इससे अधिक माला भी करते थे| सुबह से लेकर शाम तक हम सब ऋषिकेश की गलीओं में संकीर्तन यात्रा करते रहे| ऋषिकेश के लोग हमारे संकीर्तन से बहुत प्रभावित हुए| कई भाईओं ने तो हमसे आकर पूछा की आप सब कहाँ से आये हो, कितने दिन ऋषिकेश में रहेंगे और कब कब आपका संकीर्तन होता है| गीता भवन में सेवा करने वाले एक साधक अंकल (जिनको सब मामा जी कहते थे) ने हमे अपने निवास स्थान पर संकीर्तन करने के लिए आमंत्रित किया| उनके साथ बहुत से बुजुर्ग साधक गीता भवन न. 3 में भगवान का भजन करते थे हम ने उनकी शांति को हरि नाम संकीर्तन से भंग कर दिया, बहुत से बुजुर्ग साधक हमारे साथ संकीर्तन में नृत्य करने लगे, वे सभी भक्त बहुत प्रस्सन हुए और हमे बहुत से आशीर्वाद दिए| उन्होंने हमे फिर से ऋषिकेश में आने का निमंत्रण दिया| उन्होंने कहा आप अगर गीता भवन में कोई प्रोग्राम करना चाहते है तो हमे अपने आने का पहले से बता दे तो हम उसके लिए प्रबंध कर देंगे| भगवान अपने भक्तो का कितना ख्याल रखते है ये हमे उस दिन देखने को मिल गया| उसके बाद हमने रात को लगभग 10 बजे हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया|

आपका दास
नारद प्रिय दास