My Lord! I'm Yours and only yours (नाथ मैँ थारो जी थारो!!)....

॥ श्री हरि:॥
हे नाथ ! मैं आपको कभी भूलूँ नहीं ।
हर पल ये कहते रहो कभी भूलूँ नहीं ॥

प्रात: उठूँ लेके नाम तुम्हारा,
काम करूँ सब समझ के तुम्हारा,
याद करूँ रात दिन कभी भूलूँ नहीँ ॥

घर को मैं समझूँ हरि मन्दिर तुम्हारा,
हर जन में देखूँ मैं रूप तुम्हारा,
सब में हरि आप हैं कभी भूलूँ नहीं ॥

जो भी मिला है प्रसाद तुम्हारा,
अमृत समझ के करूँ मैं गुजा‍रा,
सुखमें या दुखमें रहूँ कभी भूलूँ नहीं ॥

‘मोहन’ के जीवन को तुमने
सँवारा,
कृपा करी देके मुझको सहारा,
नर तन दिया आपका कभी भूलूँ नहीं ॥
Gita Press, Gorakhpur


हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!  

॥ O' My Lord! May I never forget you ! ॥

भगवान्‌ की मनुष्य से आशा........

भगवान्‌ भी मनुष्य से यह आशा रखते हैं कि यह दूसरों की सेवा करे और मेरेको अपना माने, -मेरेसे प्रेम करे ! जैसे, माँ अपने बेटेसे पूछती है कि बता, तू किसका बेटा है? तो बालक कहता है कि ‘तेरा बेटा हूँ’। यह सुनते ही माँ राजी हो जाती है। इसी तरह भगवान्‌ भी अपने बनाये हुए मनुष्य के द्वारा यह सुनना चाहते हैं कि वह मेरेको अपना कहे, मेरे से प्रेम करे। 
(साधन के दो प्रधान सूत्र पुस्तक से)

हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!  

॥ O' My Lord! May I never forget you ! ॥

 
 

मानव का परमात्मा से अटूट सम्बन्ध...

संत कबीर ने एक पद में लिखा है "पानी बिच मीन पियासी मोहे सुनी सुनी आवे हांसी" | रस स्वरुप परमात्मा में से उद्भूत हुए हम रस स्वरुप परमात्मा में स्थित है | उन्ही के द्वारा सुरक्षित, संचालित, पालित हैं और रस के अभाव में कहाँ-कहाँ भटकते फिर रहे हैं ! तो इस दशा को मिटाना हम लोगों के लिए आवश्यक है जिसमें लगता है कि हम उससे बिछुड़ गए हैं | उस रस स्वरुप परमात्मा से हम बिछुड़ गए हैं, यह सत्य नहीं है | यह केवल भ्रम है, क्योंकि बिछुड़ जाते तो हमारी सत्ता ही नहीं होती | वह जो हमारा उद्गम है, Generation of life है, उससे एक क्षण के लिए भी सम्बन्ध टूट जाय तो हमारी सत्ता ख़त्म हो जाती, अस्तित्व ही नहीं रहता | तो किसी भी काल में सम्बन्ध टूटा नहीं है और न कभी टूटेगा | वह टूटने वाला है ही नहीं | द्रश्य से जो सम्बन्ध जुड़ा हुआ प्रतीत हो रहा है वह भी कोरा भ्रम है |

परमात्मा से कभी सम्बन्ध टूटा नहीं, मिटा नहीं, छूटा नहीं, टूटेगा नहीं | वे तो छोड़ते ही नहीं हैं, वे कैसे छोड़ेंगे | स्वामीजी महाराज अपने शानदार व्यक्तित्व (personality) के प्रभाव में आ जाते तो कहते कि परमात्मा की हिम्मत नहीं है कि हमसे सम्बन्ध तोड़ दे और अपनी करूणा कि गोद से निकाल कर हमको फेंक दें | अगर ऐसा कर सकेंगे तो अनंत माधुर्यवान का उनका विशेषण ख़त्म हो जायगा | अनंत माधुर्यवान किसको कहते हैं ? जो केवल अपने स्वभाव से ही पतित से पतित को भी अपनी करूणा से संभाल कर रखता है | हम पतित से पतित हो सकते हैं लेकिन उनके अनंत माधुर्य की जो विशेषता है, उसको वे ख़त्म नहीं करेंगे |

हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!  

॥ O' My Lord! May I never forget you ! ॥