"भजन"

भजन उसी को कहते हैं, जिसमें भगवान् का सेवन हो तथा सेवन भी वही श्रेष्ठ है, जो प्रेमपूर्वक मन से किया जाय | मन से प्रभु का सेवन तभी समुचितरूप से प्रेमपूर्वक होना संभव है, जब हमारा उनके साथ घनिष्ठ अपनापन हो और प्रभु से हमारा अपनापन तभी हो सकता है, जब संसार के अन्य पदार्थों से हमारा सम्बन्ध और अपनापन न हो |
॥ हे मेरे नाथ! तुम प्यारे लगो, तुम प्यारे लगो! ॥
॥ O' My Lord! May I find you lovable, May I find you lovable! ॥
 By Swami Ramsukhdasji...
 

भगवान को सब अर्पण कर दो...

अपना तन-मन-धन सब भगवान के अर्पण कर दो, तुम्हारा है भी नहीं, भगवान का ही है | अपना मान बैठे हो- ममता करते हो इसीसे दुखी होते हो | ममता को सब जगह से हटाकर केवल भगवान के चरणों में जोड़ दो, अपने माने हुए सब कुछ् को भगवान के अर्पण कर दो | फिर वे अपनी चीज को चाहे जैसे काम में लावें, बनावें या बिगाडें | तुम्हें उसमें व्यथा क्यों होने लगी? भगवान को समर्पण करके तुम तो निश्चिंत और आनंदमग्न हो जाओ |....

हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!

  Ram Putra Angad Das