हरे कृष्ण
प्रभु जी २३ अगस्त २००९ को मिशन ने कुछ नियम बनाये जो सभी भक्तो मानने होंगे| ये कुछ सामान्य नियम है जो कि श्री नारद जी महाराज के शिष्यों को मान्य होंगे :-

नियम वो रस्सी है जो किसी ऊचाई पर चड़ने के लिए हमारी सहायता करते है| अगर आप किसी वस्तु को पाना चाहते है तो आपको किसी उद्देश्य कि आवश्यकता होगी और उस उद्देश्य को पाने के लिए आपको कुछ नियमो का पालन करना होता है

हमारे आराध्य देव = श्री कृष्ण

हमारे गुरु जी = श्री श्री देवऋषि नारद जी महाराज

हमारे उद्देश्य = भगवान श्री कृष्ण से दिव्य मिलन
भगवान के दिव्य नाम का प्रचार

जप का मन्त्र = हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे


मिशन के शुरूआती नियम जो सबको मान्य होंगे :-

१. मांसाहार का निषेध
२. अवैध संबंधो का निषेध
३. नशीली वस्तुओं का निषेध
४. नित्य हरे कृष्ण महामन्त्र की ४ माला करना

कुछ और नियम जो की बड़े भक्तो को पालन करने होंगे :-

१. चाय, कोफी, लहसुन और प्याज का निषेध
२. बाहर का खाना जितना हो सके नहीं खाएं
३. नित्य हरे कृष्ण महामन्त्र की १६ माला करना
४. नित्य संकीर्तन में आना
५. नित्य भक्तों के साथ बातचीत
६. नित्य धार्मिक पुस्तकों का पाठन

Mission Rules

HARE KRISHNA,

PRABHU JI ON 23RD OF AUGUST OUR MISSION DESSIDE SOME RULES TO BE FOLLOWED BY EACH AND EVERYONE. THESE ARE THE BASIC RULES TO BE FOLLOWED BY HIS GRASE SHRI NARAD JI’S DESIPLES.

RULES ARE THE ROPE THAT WILL HELP ANYONE TO CLIMB THE HIGHT. TO ACHIVE SOMETHING YOU NEED TO SET ONE GOEL, TO GET THAT GOEL YOU NEED SOME RULES THAT LED TO THE GOEL.

ADORABLE GOD = SHRI KRISHNA

OUR GURUJI = SHRI SHRI DEVRISHI NARAD JI

ULTIMATE GOAL = DEVINE MEET WITH LORD KRISHNA
DIVINE NAME PROPOGATION

MANTRA WE CHANT = HARE KRISHNA HARE KRISHNA KRISHNA KRISHNA HARE HARE
HARE RAMA HARE RAMA RAMA RAM HARE HARE


OUR MISSION SET 4 BASIC RULES THAT ARE AS FOLLOW :-

1. NONVEG PREVENTION
2. ILLICIT AFFAIRS PROTEST
3. DO NOT USE INTOXICANTS
4. FOUR (4) ROUND MALA OF HARE KRISHNA MAHAMANTRA DAILY.

THERE ARE SOME MORE RULES FOR THE UPPER LEVEL BHAKTS :-

1. TEA, COFFEE, ONION, GARLIC PREVENTION
2. DO NOT EAT OUTSIDE
3. 16 ROUND OF MAHAMANTRA MALA DAILY
4. NITYA SANKIRTAN
5. NITYA DEVOTEE INTERACTION
6. READING SPRITUAL BOOKS (BHAGWAT GEETA, GEETA PRESS BOOKS, ETC..)

16 August 2009 पहला उमंग उत्सव|

हरे कृष्णा,

16 अगस्त को मिशन ने अपना पहला उमंग उत्सव मनाया| उसके कुछ अंश प्रस्तुत कर रहा हूँ| उमंग उत्सव में जो संकीर्तन किया गया उसको करके सबका दिल ख़ुशी से झूम उठा| संकीर्तन इतना भव्य था कि क्या कहना, सभी भक्त संकीर्तन में नृत्य कर रहे थे| सब इस बात से बहुत खुश थे कि मिशन का पहला उमंग उत्सव था, पर जैसा के अब तक होता आया है भगवान ने इस बार भी हमे बहुत सताया| सुबह से ही बारिश हो रही थी| सुबह 8 बजे से लाइट नहीं थी, जिसके कारण इन्वेर्टर भी काम नहीं कर रहा था| जैसे - तैसे बैटरी का प्रबंध किया गया जिससे शाम का संकीर्तन हुआ| उसके बाद भारत जी का चरित्र का नाट्य रूपांतरण किया गया| जिसका सारा श्रेय रासबिहारी प्रभु को जाता है| उन्होंने नाटक का सारा जिम्मा ले रखा था, नाटक के लिए पात्र चुनना और उनको सही-सही मार्गदर्शन करना सब उनका काम था| ये उन्ही की मेहनत का फल था जो नाटक इतना अच्छा हुआ की सबकी आँखों में आंसू आ गए| उसका वर्णन में नहीं कर पाउँगा, जो उस नाटक को देख पाया उसने समझा है की भारत जी का चरित्र कैसा था कोई राम जी से इतना प्यार कैसे कर सकता है, आज के युग में जो भाई दुसरे भाई के दुःख में साथ नहीं देता, अगर आज भाई भाई में इतना प्यार हो जाये तो ये पृथ्वी वापस स्वर्ग बन जायेगी|

भरत जी के बारे में मैं आपको क्या बताऊ पर नाटक को देख कर ऐसा लगा जैसे साक्षात् भरत जी हमारे सामने खड़े हो| वृन्दावन प्रभु ने भरत जी का चरित निभाया| वो साक्षात् भरत जी लग रहे थे| बस इसके बाद मैं और कुछ नहीं कह सकता क्योंकि भरत जी के चरित्र का वर्णन करना राम जी के बस में नहीं तो मैं किस खेत की मुली हूँ|
बस इतना कह सकता हूँ के भरत जैसा भाई इस संसार मैं पहले कभी नहीं हुआ, न है, और न कभी होगा|

भरत जी महाराज की जय
हरे कृष्ण
आपका दास
नारद प्रिय दास

परम उत्सव जन्माष्टमी....

हरे कृष्णा
सभी भक्तो को,

जन्माष्टमी का महाउत्सव श्रीमन नारदीय भगवत मिशन में बड़ी ही धूम धाम से मनाया गया, जिसका वर्णन तो किया ही नहीं जा सकता है पर हम इसके कुछ अंश का तो वर्णन कर ही सकते है, जन्माष्टमी की तैयारी हमारे श्री भगवती प्रभु ने एक दिन पहले से ही शुरु कर दी थी| जन्माष्टमी के दिन सभी भक्तो ने मंदिर में सेवा दी और मंदिर को तरह-2 की सजावट और सुन्दर फूलो से सजाया गया, मंदिर जैसे की साक्षात् वैकुण्ठ की तरह लग रहा था| श्री ठाकुर जी और ठकुराइन जी को तो बहुत ही सुन्दर सजा गया था, दोनों इतने सुन्दर लग रहे थे की साक्षात् भगवान दर्शन दे रहे हो, फूल माला, वस्त्र, मोर मुकुट ये सब ठाकुर जी पर इतने सुन्दर लग रहे थे की सब भक्त कह रहे की कही उन्हें नजर न लग जाये इस कारण दोनों को काला टीका भी लगाया गया| शाम होते ही संक्रितन शुरू हो गया ओर रात्रि तक भक्त-जन ठाकुर जी के प्रेम में डूबे रहे, हमारे श्री कृष्ण चरण दास प्रभु और श्री भगवती प्रभु एक से बड़कर एक भजन कराते सभी साधक मिलकर उनका साथ देते ओर प्रेम सरोवर में गौते खाते, एक एक साधक ठाकुर जी को उनके जन्मदिन की बधाई उन्हें स्मरण करके देते| इसी अवसर पर भक्त प्रह्लाद नाटक का भी आयोजन किया गया वो नाटक तो सभी को पसंद आया, मध्य रात्रि 12बजे ठाकुर जी को पंचामृत से स्नान कराया गया ओर उन्हें जन्मदिन की बधाई दी गयी ओर फिर से जबरजस्त संक्रितन कराया गया| सभी साधक चरनाअमृत व भोग पाकर अपने घरो के ओर प्रस्थान किया|

आपका दास
राधा माधव दास

हरिद्वार में श्रीमन नारदीय भगवत मिशन

हरे कृष्ण
प्रभु जी ऋषिकेश के बाद हम सब हरिद्वार में 27 रात को पहुँच गए| उसके बाद खाने के लिए एक होटल वाले से कहा गया के खाना बिना प्याज और लहसुन का होना चाहिए| लेकिन उसने गलती से या जैसे भी कहो उसमे प्याज डल गया, सभी भक्त उस खाने को छोड़ कर चले आये| उसके बाद हमारे रहने का इंतजाम बहुत ही सुन्दर घर में हुआ, जहाँ हमे खाना बनाने के लिए सभी सामान मिल गया(हमारे रहने का प्रबंध कनखल में हुआ)| उसके बाद बहनों ने रात में सबके लिए चावल और नमकीन से खाना बनाया और हम सब को रात का खाना मिला| उसके बाद ये निश्चित हुआ के खाना हम सब घर पर ही खाया करेंगे| बहनों ने इस बात की जिम्मेदारी ली| 28 तारीख को सुबह हम सब दक्ष्शेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए गए| उनके दर्शन करने के बाद हम सब ने दक्ष यज्ञ की कथा सुनी| दोपहर को सब ने खाना खाया और उसमे सेवा दी| शाम को हमने सप्त द्वीप में कई मंदिरों के दर्शन किये पर सबसे अधिक प्रणामी सम्प्रदाय का मंदिर लगा| हमने कनखल में नगर संकीर्तन भी किया, रात को हमने स्वामीनारायण मंदिर (कनखल) में संकीर्तन किया जिससे वहां के पुजारी बड़े ही प्रस्सन हुए| 29 तारीख को हमने चंडी देवी और अंजना माँ (हनुमान जी की माता जी) के दर्शन किये| अंजना माँ के मंदिर में हमने हनुमान चालीसा का पाठ भी किया| वहां की चढाई बहुत ही खड़ी है उसके लिए हमे बहुत समय लगा| हम सब हर की पोडी पर स्नान करने गए गंगा माँ को देखकर कितना अच्छा लगा कहा नहीं जा सकता| गंगा माँ में स्नान करते करते हमे काफी समय हो गया| उसके बाद हमने शाम को गंगा जी की आरती देखी उसको देखकर ऋषिकेश (परमार्थ निकेतन) की याद आ गयी| उसके बाद शाम को घर पर ही संकीर्तन हुआ| 30 तारीख को हमने मनसा देवी के दर्शन किये, उसके लिए चैतन्य प्रभु ने उड़न खटोले का प्रबंध किया था| जिससे बहुत जल्दी हमने मनसा माँ के दर्शन कर लिए| शाम को हमने संकीर्तन किया| 31 तारीख को सुबह हम सब शुक्र ताल के लिए रवाना हुए जहाँ पर शुक देव महाराज ने परीक्षित जी को भगवत की कथा सुनाई थी| वहां बहुत ही शांति थी और सबको बड़ा ही अच्छा लग रहा था| सबने वहां गंगा माँ में स्नान किया और नगर संकीर्तन भी किया| संकीर्तन करते-करते हम मंदिर गए और शाम को खाना खाकर घर के लिए रवाना हुए| रात लगभग 2 बजे के आस पास हम शालीमार गार्डन पहुंचे| सभी भक्त बहुत थके थके से लग रहे थे पर सभी के मुख पर एक विशेष आभा चमक रही थी| सभी बहुत दुखी थे कि अब सब भक्तो से बिछड़ना पड़ रहा है और सब शाम को ही मिल पाया करेंगे| सभी भक्त ये सोच रहे थे के काश सब भक्त एक साथ रह सकते हमेशा हमेशा के लिए| भगवान ने अगर चाहा तो एक न एक दिन ऐसा भी आएगा जब सब भक्त एक साथ रहेंगे|

हरी बोल| हरे कृष्ण||

आपका दास
नारद प्रिय दास

ऋषिकेश में धूम


हरे कृष्ण

इतने दिनों तक कुछ update नहीं करने के लिए प्रभु जी मैं आप से क्षमा चाहता हूँ, इसमें मेरी ही कमी है मेरा ही आलस है जो मैं अपनी सेवा नहीं दे सका, आप से प्रार्थना है की आप सब मेरे लिए प्रभु से प्रार्थना करे कि मैं आलस को त्याग कर अपने कर्त्तव्य को पूरा कर सकूँ| हरि बोल

अब मैं आपको मिशन के ऋषिकेश और हरिद्वार के trip के बारे में बताना चाहता हूँ|

हमारा मिशन 24-07-09 को ऋषिकेश के लिए रवाना हुआ| सुबह लगभग 10 बजे के आस पास ऋषिकेश पहुंचे, उसके बाद गीता भवन हॉल न. 5 भगवन ने हमारे लिए बुक करवा दिया| हम 45 लोग जिसमे बहने और माताएं भी शामिल थी सब के लिए अलग अलग कमरा मिल गया| उसके बाद 25 तारीख लगभग आराम करने में बीती| शाम को हमने ऋषिकेश के बाजार और गंगा जी के घाट पर हरि नाम संकीर्तन की धूम मचा दी| जो भी संकीर्तन को सुनता वो ही झुमने लगता| गीता भवन हॉल न. 1 में हमने काफी देर तक संकीर्तन किया, गीता भवन के सभी लोग संकीर्तन में मस्त हो गए| शाम को 7:30 बजे हमने परमार्थ निकेतन में गंगा जी कि आरती देखी इतनी शांत और भव्य आरती हमने पहले कभी नहीं देखी थी| सभी भक्त गंगा माँ से बाते कर रहे थे, सब के मुख पर एक अजीब सी शांति और आनंद झलक रहा था| ऐसा लग रहा था जैसे गंगा माँ साक्षात् हमारे सामने खड़ी हो, बहुत ही सुन्दर द्रश्य था| जब तक हम ऋषिकेश में रहे उतने दिन हम परमार्थ निकेतन की गंगा माँ की आरती के दर्शन करते रहे|

26-07-09 को हमारा प्लान नीलकंठ भगवन का दर्शन करने का था| परन्तु जैसा भगवान चाहते है वैसा ही होता है| हमारी पूरी तैयारी होने के बावजूद हम उस दिन केवल ऋषिकेश में संकीर्तन ही कर सके, इससे सारे भक्त बड़े ही उदास हो गए| उस दिन हमने कालीकमली वाले आश्रम में संकीर्तन किया|

27 तारीख को कृष्ण चरण दास जी ने हमे भगवान के प्लान के बारे में बताया, हुआ ये कि 26 तारीख को रविवार था, और भगवान हमे अपने दर्शन सोमवार को देना चाहते थे, क्योंकि वो सावन का चौथा सोमवार था| इस बात को सुनते ही सब भक्तो का मन इतना खुश हो गया और सबका जोश दुगना हो गया| सुबह हम सब गाड़ी में बैठ कर नीलकंठ महादेव के लिए रवाना हो गए| वहां पहुँच कर सब ने महामंत्र की जगह ॐ नमः शिवाय का संकीर्तन किया जिससे भगवान शंकर के सभी भक्त बहुत ही खुश हुए और हमे उन सब भक्तो का आशीर्वाद प्राप्त हुआ| कई भक्त तो हमारे साथ ही शामिल हो गए और भगवान का संकीर्तन करने लगे| सब ने हमारे संकीर्तन की सराहना की और कहा की इतनी छोटी उम्र में भगवान का भजन करने वाले बच्चे उन्होंने पहले कभी नहीं देखे| वहां पहुँच कर इतनी लम्बी कतार को देखकर सभी भक्त परेशान हो गए, सबका जोश ठंडा पड़ने लगा, परन्तु महादेव प्रभु ने कुछ जुगत लगा कर सब को लाइन में लगा लिया, जिससे 5 घंटे की प्रतीक्षा की जगह 1 घंटे में ही सब भक्तो को भगवान नीलकंठ के दर्शन हो गए, और सभी ने भगवान नीलकंठ का धन्यवाद किया, जिनकी कृपा से हम सब उनके दर्शन कर सके| बोलो नीलकंठ भगवान की जय| सोमवार को हमे भगवान नीलकंठ के प्रताप से परमार्थ निकेतन के स्वामी श्री चिदानंद सरस्वती जी महाराज के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ|

27 तारीख शाम को ऋषिकेश से हरिद्वार जाना था, इसलिए हमने पूरा समय संकीर्तन और भगवान नाम जप में व्यतीत करने का निश्चय किया| वैसे लगभग सभी भक्त महामंत्र की 108 और कई तो इससे अधिक माला भी करते थे| सुबह से लेकर शाम तक हम सब ऋषिकेश की गलीओं में संकीर्तन यात्रा करते रहे| ऋषिकेश के लोग हमारे संकीर्तन से बहुत प्रभावित हुए| कई भाईओं ने तो हमसे आकर पूछा की आप सब कहाँ से आये हो, कितने दिन ऋषिकेश में रहेंगे और कब कब आपका संकीर्तन होता है| गीता भवन में सेवा करने वाले एक साधक अंकल (जिनको सब मामा जी कहते थे) ने हमे अपने निवास स्थान पर संकीर्तन करने के लिए आमंत्रित किया| उनके साथ बहुत से बुजुर्ग साधक गीता भवन न. 3 में भगवान का भजन करते थे हम ने उनकी शांति को हरि नाम संकीर्तन से भंग कर दिया, बहुत से बुजुर्ग साधक हमारे साथ संकीर्तन में नृत्य करने लगे, वे सभी भक्त बहुत प्रस्सन हुए और हमे बहुत से आशीर्वाद दिए| उन्होंने हमे फिर से ऋषिकेश में आने का निमंत्रण दिया| उन्होंने कहा आप अगर गीता भवन में कोई प्रोग्राम करना चाहते है तो हमे अपने आने का पहले से बता दे तो हम उसके लिए प्रबंध कर देंगे| भगवान अपने भक्तो का कितना ख्याल रखते है ये हमे उस दिन देखने को मिल गया| उसके बाद हमने रात को लगभग 10 बजे हरिद्वार के लिए प्रस्थान किया|

आपका दास
नारद प्रिय दास

हमारे दोष ( काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार) ही हमारे सबसे बड़े शत्रु है

हरे कृष्ण
हमारे दोष ( काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार) ही हमारे सबसे बड़े शत्रु है | जब हम भगवान के रस्ते पर चलते है तो हमारे दोष ही हमारे सामने आते है | जब हम कर्म करते है तो कोई एक दोष हमारे सामने आ जाता है ओर हम उस दोष के साथ चलने लगते है , भगवान को भूल जाते है | भगवान को एक तरफ कर देते है | काम, क्रोध, लोभ, मोह, एवं अंहकार- इन पांचो में से किसी न किसी का आकषर्ण मन में होता है तो फिर साधन - भजन की जगह पर मन उसमें फिसल पड़ता है |

आये थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास.....

पहले चले तो थे भगवान के लिये लेकिन छुपी हुई कोई वासना थी, उसकी पूर्ति होने लगी तो भगवान, भगवान की जगह पर रहे और हम लोग उसी वासनापूर्ति में उलझ जाते हैं एवं अपना कीमती समय पूरा कर देते हैं | फिर उसी वासनापूर्ति में जो हमारा समर्थन करते हैं वे हमारे मित्र बन जाते हैं और जो समर्थन नहीं करते हैं वे हमारे दुश्मन बन जाते हैं | इससे राग द्वेष उत्पन्न होने लगते हैं जो कि हमें साधना पथ से विचलित कर देता हैं | इन सब विघ्नों से बचते हुए भगवान को प्राप्त करना चाहिए |

आपका दास
नारद प्रिय दास