श्री भगवती प्रभु के अमृत वचन


हरे कृष्णा

भगवती प्रभु के अनुसार इस संसार का सार कोई नहीं पा सकता, केवल हमारे ठाकुर जी को ही पता है, भगवती प्रभु से मेरी दो दिन पहले भगवत चर्चा हो रही थी उसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ :
1). संसार मैं कोई वस्तु भगवान से अधिक मूल्यवान नहीं है

2). इस संसार में भगवान को पाना ही मनुष्य का एक मात्र लक्ष्य होना चाहिए, क्योकि मनुष्य का जन्म हमें भगवान को पाने के लिए ही मिला है
3). मनुष्य में ही इतनी बुद्धि होती है कि उसको भगवान का ज्ञान हो सकता है जानवर को सिर्फ जीवन की 4 मूलभूत आवश्कताओं के बारे में ही पता होता है ये 4 आवश्कताएँ है !
(१) आहार , (२) निद्रा , (३) भय , (४) मैथुन
जानवर को भूख लगती है, उसको निद्रा आती है, उसको भय लगता है, उसको किसी मादा जानवर की जरुरत होती है, मगर उसमे इतनी बुद्धि नहीं होती की वो भगवान का नाम एक बार भी ले सके, सिर्फ मनुष्य को ही भगवान का नाम लेने का अधिकार है, और हम इतने बुद्धिमान होने के बावजूद जानवर को अपने से अधिक फ्री (स्वतंत्र) समझते हैं, जानवर की देह को भोग देह कहा जाता है, मतलब पशु योनी में हम अपने किये कर्मो को भोग सकते हैं कोई नया कर्म नहीं कर सकते, जबकि मनुष्य कोई नया कर्म करने में सवतंत्र है, तो हम अपने कर्मो की सहायता से भगवान को भी पा सकते हैं और अगर हम चाहे तो दोबारा पशु योनी भी प्राप्त कर सकते है, तो चुनाव हमारा है (THE BALL IS IN OUR CORT)

4). अगर हमने इस जन्म में भी भगवान को नहीं पाया तो फिर क्या पाया, क्योंकि जो भी हमने पाया वो सब इस संसार में ही रह जायेगा कुछ भी हमारे साथ नहीं जायेगा केवल भगवान का नाम ही हमारे साथ जायेगा लेकिन वो तो हम लेना नहीं चाहते, तो अवश्य ही हमारी दुर्गति होनी हैं यह निश्चित है की अगर हम भगवान का नाम नहीं लेते तो हम इस संसार से खाली हाथ ही जायेंगे जब हम मरने के बाद यमलोक जायेंगे तो हमारे सारे कर्मो का लेखा जोखा देखा जाता है उसके बाद ही ये निश्चित होता है की हमे कौन सी योनी मिलेगी और कितने समय के लिए

5). इस संसार में एक ऐसे देवता है जो न चाहते हुए भी सबको दर्शन देते है उनका नाम है यमराज जी महाराज अगर हम किसी देवता को देखना चाहते है तो उसके लिए हमे उस देवता की पूजा करनी पड़ती है, उनको प्रसन्न करना पड़ता है, मगर यमराज इतने दयालु देवता है की वो हमे ना चाहते हुए भी दर्शन देते हैं, और मरे हुए इन्सान को भी मौत आ जाये ऐसा दर्शन देते है और अगर वो उस इन्सान के ऊपर प्रसन्न हो जाये तो उसको इस संसार में कोई भी उनके प्रकोप से बचा नहीं सकता वे उस जीव को घोर यातना देते हैं और उसको पवित्र करके मनुष्य योनी प्रदान करते हैं यमराज जी भगवान के परम प्रिय भक्त है, देखो भगवान के भक्त इतने दयालु है की बिना मांगे दर्शन देते है तो हमारे भगवान कितने दयालु होंगे
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नारद प्रिय दास