तू ही तू

1.कैसो खेल रचो मेरे दाता, जित देखू उत तू ही तू |
     कैसी रे भूल जगत में डाली, सादिक करनी कर रहो तू |
             कैसो खेल रचो मेरे दाता , जित देखू उत तू ही तू |

2.नर नारिन में एक ही कहिये, दोए जगत में दरसे क्यों |
        बालक होए रोवने ने लगो, माता बन पुचकारे तू |
                कैसो खेल रचो मेरे दाता, जित देखू उत तू ही तू |

3.कीड़ी में छोटो बन बैठो, हाथी में ही मोटो तू |
       होए मगन मस्ती में डोले, महावत बन कर बैठो तू |
               कैसो खेल रचो मेरे दाता, जित देखू उत तू ही तू |

4.राजघरा राजा बन बैठो, भिक्यारा में मंगतो तू |
        होए झगड़ा जब झगड़ बाला तो, फौजदार फौजा में तू ||
                 कैसो रे खेल रचो रे मेरे दाता, जित देखू तिन तू ही तू |

5.देवल में देवता बन बैठो, पूजा में पुजारी तू |
             चोरी करे जब बाजे से चोरठो, खोज करन में खोजी तू ||
                     कैसो रे खेल रचो रे मेरे दाता, जित देखू तिन तू ही तू |

6.राम ही करता राम ही भरता, सारो खले रचायो तू |
          कहत कबीर सुनो भाई साधो, उलट खोज कर पायो तू ||
                कैसो रे खेल रचो रे मेरे दाता, जित देखू उत तू ही तू |

7.कैसी रे भूल जगत में डाली, सादिक करनी कर रहा तू |
          कैसो रे खेल रचो रे मेरे दाता, जित देखू तिन तू ही तू ||