हे रामजी! पास बुला लो तो पास आ जाऊँ, दूर भगा दो तो दूर भाग जाऊँ ! ऐसा मन में तो बहुत आता है कि आप जैसे नचाओ, वैसे नाच जाऊँ, लेकिन मुझसे हो नहीं पाता। आपकी मरजी में अपनी मरजी मिलाके आपको खुश कर दूँ, ऐसी बड़ी इच्छा है!
हे नाथ! मैं तो आपका छोटा बच्चा हूँ, चाहो तो गोदमें ले लो या गेंद समझके जिधर मनहो उधर ही ठोकर मार दो, बस आप प्रसन्न हो जा...ओ!