भगवान्‌ की मनुष्य से आशा........

भगवान्‌ भी मनुष्य से यह आशा रखते हैं कि यह दूसरों की सेवा करे और मेरेको अपना माने, -मेरेसे प्रेम करे ! जैसे, माँ अपने बेटेसे पूछती है कि बता, तू किसका बेटा है? तो बालक कहता है कि ‘तेरा बेटा हूँ’। यह सुनते ही माँ राजी हो जाती है। इसी तरह भगवान्‌ भी अपने बनाये हुए मनुष्य के द्वारा यह सुनना चाहते हैं कि वह मेरेको अपना कहे, मेरे से प्रेम करे। 
(साधन के दो प्रधान सूत्र पुस्तक से)

हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!  

॥ O' My Lord! May I never forget you ! ॥