भगवान को सब अर्पण कर दो...

अपना तन-मन-धन सब भगवान के अर्पण कर दो, तुम्हारा है भी नहीं, भगवान का ही है | अपना मान बैठे हो- ममता करते हो इसीसे दुखी होते हो | ममता को सब जगह से हटाकर केवल भगवान के चरणों में जोड़ दो, अपने माने हुए सब कुछ् को भगवान के अर्पण कर दो | फिर वे अपनी चीज को चाहे जैसे काम में लावें, बनावें या बिगाडें | तुम्हें उसमें व्यथा क्यों होने लगी? भगवान को समर्पण करके तुम तो निश्चिंत और आनंदमग्न हो जाओ |....

हे नाथ ! हे मेरे नाथ ! मैं आपको भूलूँ नहीं !!

  Ram Putra Angad Das