एक व्यक्ति ने जब एक संत के बारे में सुना तो वह पाकिस्तान से रुहानी इत्र लेकर वृन्दवन आया.

इत्र सबसे महगा था जिस समय वह संत से मिलने गया उस समय वे भावराज में थे आँखे बंद करे भगवान राधा-कृष्ण जी के होली उत्सव में लीला में थे.

उस व्यक्ति ने देखा की ये तो ध्यान में है .
तो उसने वह इत्र की शीशी उनके पास में रख दी और पास में बैठकर, संत की समाधी खुलने का इंतजार करने लगा.

तभी संत ने भावराज में देखा राधा जी अपनी पिचकारी भरकर कृष्ण जी के पास आई,
तुंरत कृष्ण जी ने राधा जी के ऊपर पिचकारी चला दी.

राधा जी सिर से पैर तक रंग में नहा गई अब तुरंत राधा जी ने अपनी पिचकारी कृष्ण जी पर चला दी पर राधा जी की पिचकारी खाली थी.

संत को लगा की राधा जी तो रंग डाल ही नहीं पा रही है संत ने तुरंत वह इत्र की शीशी खोली और राधा जी की पिचकारी में डाल दी और तुरंत राधा जी ने पिचकारी कृष्ण जी पर चला दी, पर उस भक्त को वह इत्र नीचे जमीन पर गिरता दिखाई दिया उसने सोचा में इतने दूर से इतना महगा इत्र लेकर आया था पर इन्होने तो इसे बिना देखे ही सारा का सारा रेत में गिरा दिया पर वह कुछ भी ना बोल सका.

थोड़ी देर बाद संत ने आँखे खोली उस व्यक्ति ने उन्हे प्रणाम किया.

संत ने कहा- आप अंदर जाकर बिहारी जी के दर्शन कर आये.

वह व्यक्ति जैसे ही अंदर गया तो क्या देखता है की सारे मंदिर में वही इत्र महक रहा है और जब उसने बिहारी जी को देखा तो उसे बड़ा आश्चर्य हुआ बिहारी जी सिर से लेकर पैर तक इत्र में नहा रहे थे
उसकी
आँखों से प्रेम अश्रु बहने लगे और वह सारी लीला समझ गया तुरंत बाहर आकर संत के चरणो मे गिर पड़ा और उन्हे बार-बार प्रणाम करने लगा.

बाँके बिहारी लाल की जय....