* * * * धोखा * * * *

हरे कृष्ण,

धोखा कितना बुरा लगता है पर हम नहीं जानते की हम हमेशा से धोखे मैं ही रहते हैं| जैसे किसी कि चिता को अग्नि देने के बाद हम सोचते है कि इसका तो समय हो गया था मेरा समय अभी नहीं आया या मैं थोड़े ही मरूँगा | कुछ लोग तो इतने व्यस्त होते हैं कि उन्हें इस तरफ सोचने का वक्त नहीं मिलता | कोई उन्हें कहता भी है कि भाई भजन करो इस मनुष्य शरीर का कोई भरोसा नहीं, तो वो सोचते है कि कितना अपशकुनी है मरने कि बाते करता है, और वो उस व्यक्ति को टालने के लिए उससे पीछा छुड़ा लेते है|

पर उनको ये नहीं पता कि वो व्यक्ति ठीक कह रहा है| हम जिस शरीर से इतना प्यार करते हैं एक दिन वो ही प्यारा शरीर हमे धोखा दे देगा | हम जिस से प्यार करते है वो हमे एक दिन धोखा देगा और पता नहीं किस नयी दुनिया में चला जायेगा | हम जिस संसार को अपना मान लेते हैं, एक दिन हमे उसको छोड़ना पड़ेगा |

असल में हमे धोखा देने और धोखा खाने कि आदत पड़ गयी है | तभी तो हम जिस शरीर से प्यार करते है उससे धोखा खाते है और जो परमात्मा हमसे प्यार करता है उसको धोखा देते है | हम सभी जानते है कि उससे प्यार करना चाहिए जो हमे प्यार करता हो फिर भी हम धोखा करते है |

आज से ये समझ ले कि ये संसार हमे धोखा देगा तो इस धोखे से बचे और अपने से प्यार करने वाले परमात्मा के साथ इमानदार बने और उन्हें प्यार करे | इसलिए न तो धोखा दे और न तो धोखा खाए
और अपने प्रिय साथियों को भी इस धोखे से बचाए|


"हरे कृष्णा"

हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे