रामचरितमानस के अरण्यकांड में जब श्रीराम ऋषि अत्रि के आश्रम पहुंचे, तब ऋषि अत्रि ने श्रीराम का आदरपूर्वक पूजन किया। श्रीराम आसन पर विराजमान है और ऋषि अत्रि उनकी स्तुति कर रहे हैं। यह भगवान् श्रीराम की सर्वाधिक प्रचलित स्तुतियों में से एक है।
श्रीराम स्तुति...
नमामि भक्त वत्सलं। कृपालु शील कोमलं।
भजामि ते पदांबुजं। अकामिनां स्वधामदं।।
निकाम श्याम सुंदरं। भवांबुनाथ मंदरं।
प्रफुल्ल कंज लोचनं। मदादि दोष मोचनं।।
प्रलंब बाहु विक्रमं प्रभोऽप्रमेय वैभवं।
निषंग चाप सायकं। धरं त्रिलोक नायकं।।
दिनेश वंश मंडनं। महेश चाप खंडनं।
मुनींद्र संत रंजनं। सुरारि वृंद भंजनं।।
मनोज वैरि वंदितं। अजादि देव सेवितं।
विशुद्ध बोध विग्रहं। समस्त दूषणापहं।।
नमामि इंदिरा पतिं। सुखाकरं सतां गतिं।
भजे सशक्ति सानुजं। शची पति प्रियानुजं।।
त्वदंघ्रि मूल ये नरा:। भजंति हीन मत्सरा:।
पतंति नो भवार्णवे। वितर्क वीचि संकुले।।
विविक्त वासिन: सदा। भजंति मुक्तये मुदा।
निरस्य इंद्रियादिकं। प्रयांति ते गतिं स्वकं।
तमेकमद्भुतं प्रभुं। निरीहमीश्वरं विभुं।
जगद्गुरुं च शाश्वतं। तुरीयमेव केवलं।।
भजामि भाव वल्लभं। कुयोगिनां सुदुर्लभं।
स्वभक्त कल्प पादपं। समं सुसेव्यमन्वहं।।
अनूप रूप भूपतिं। नतोऽहमुर्विजा पतिं।
प्रसीद मे नमामि ते। पदाब्ज भक्ति देहि मे।।
पठंति ये स्तवं इदं। नरादरेण ते पदं।
व्रजंति नात्र संशयं। त्वदीय भक्ति संयुता:।।
जय श्री सीताराम
+ आश्चर्य +
हरे कृष्ण
जब यक्ष ने धर्मराज से पूछा की सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? तो धर्मराज ने कहा की लोग नित्य मृत्यु को प्राप्त होते है फिर भी जो जीवित है वो सोचेते है की हम नहीं मरेंगे इससे बड़ा कोई आश्चर्य नहीं है | ऐसा ही एक और आश्चर्य हमारे संतो ने भी देखा है और वो ये है की जैसे कोई समुंदरी जहाज किनारे पहुँच कर डूब जाये और आपको ये पता लगे की उस जहाज के यात्रियों को इस बात का पता भी था और वो बच भी सकते थे | तो आपको बहुत हैरानी होगी | हमारे संतो को भी ऐसी ही हैरानी होती है और वे कहते है कि ये मनुष्य शरीर ही वो जहाज है जो इस 84 लाख योनियों को पर कर के भवसागर के किनारे पहुँच चुका है, प्रभु प्राप्ति बिना मर जाना ही इसे डुबो देना है |
हमे इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि हमारा जहाज डूबे इस से पहले हमे भगवत प्राप्ति कर लेनी है |
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
जब यक्ष ने धर्मराज से पूछा की सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? तो धर्मराज ने कहा की लोग नित्य मृत्यु को प्राप्त होते है फिर भी जो जीवित है वो सोचेते है की हम नहीं मरेंगे इससे बड़ा कोई आश्चर्य नहीं है | ऐसा ही एक और आश्चर्य हमारे संतो ने भी देखा है और वो ये है की जैसे कोई समुंदरी जहाज किनारे पहुँच कर डूब जाये और आपको ये पता लगे की उस जहाज के यात्रियों को इस बात का पता भी था और वो बच भी सकते थे | तो आपको बहुत हैरानी होगी | हमारे संतो को भी ऐसी ही हैरानी होती है और वे कहते है कि ये मनुष्य शरीर ही वो जहाज है जो इस 84 लाख योनियों को पर कर के भवसागर के किनारे पहुँच चुका है, प्रभु प्राप्ति बिना मर जाना ही इसे डुबो देना है |
हमे इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि हमारा जहाज डूबे इस से पहले हमे भगवत प्राप्ति कर लेनी है |
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे |
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ||
* * * * धोखा * * * *
हरे कृष्ण,
धोखा कितना बुरा लगता है पर हम नहीं जानते की हम हमेशा से धोखे मैं ही रहते हैं| जैसे किसी कि चिता को अग्नि देने के बाद हम सोचते है कि इसका तो समय हो गया था मेरा समय अभी नहीं आया या मैं थोड़े ही मरूँगा | कुछ लोग तो इतने व्यस्त होते हैं कि उन्हें इस तरफ सोचने का वक्त नहीं मिलता | कोई उन्हें कहता भी है कि भाई भजन करो इस मनुष्य शरीर का कोई भरोसा नहीं, तो वो सोचते है कि कितना अपशकुनी है मरने कि बाते करता है, और वो उस व्यक्ति को टालने के लिए उससे पीछा छुड़ा लेते है|
पर उनको ये नहीं पता कि वो व्यक्ति ठीक कह रहा है| हम जिस शरीर से इतना प्यार करते हैं एक दिन वो ही प्यारा शरीर हमे धोखा दे देगा | हम जिस से प्यार करते है वो हमे एक दिन धोखा देगा और पता नहीं किस नयी दुनिया में चला जायेगा | हम जिस संसार को अपना मान लेते हैं, एक दिन हमे उसको छोड़ना पड़ेगा |
असल में हमे धोखा देने और धोखा खाने कि आदत पड़ गयी है | तभी तो हम जिस शरीर से प्यार करते है उससे धोखा खाते है और जो परमात्मा हमसे प्यार करता है उसको धोखा देते है | हम सभी जानते है कि उससे प्यार करना चाहिए जो हमे प्यार करता हो फिर भी हम धोखा करते है |
आज से ये समझ ले कि ये संसार हमे धोखा देगा तो इस धोखे से बचे और अपने से प्यार करने वाले परमात्मा के साथ इमानदार बने और उन्हें प्यार करे | इसलिए न तो धोखा दे और न तो धोखा खाए
और अपने प्रिय साथियों को भी इस धोखे से बचाए|
"हरे कृष्णा"
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
धोखा कितना बुरा लगता है पर हम नहीं जानते की हम हमेशा से धोखे मैं ही रहते हैं| जैसे किसी कि चिता को अग्नि देने के बाद हम सोचते है कि इसका तो समय हो गया था मेरा समय अभी नहीं आया या मैं थोड़े ही मरूँगा | कुछ लोग तो इतने व्यस्त होते हैं कि उन्हें इस तरफ सोचने का वक्त नहीं मिलता | कोई उन्हें कहता भी है कि भाई भजन करो इस मनुष्य शरीर का कोई भरोसा नहीं, तो वो सोचते है कि कितना अपशकुनी है मरने कि बाते करता है, और वो उस व्यक्ति को टालने के लिए उससे पीछा छुड़ा लेते है|
पर उनको ये नहीं पता कि वो व्यक्ति ठीक कह रहा है| हम जिस शरीर से इतना प्यार करते हैं एक दिन वो ही प्यारा शरीर हमे धोखा दे देगा | हम जिस से प्यार करते है वो हमे एक दिन धोखा देगा और पता नहीं किस नयी दुनिया में चला जायेगा | हम जिस संसार को अपना मान लेते हैं, एक दिन हमे उसको छोड़ना पड़ेगा |
असल में हमे धोखा देने और धोखा खाने कि आदत पड़ गयी है | तभी तो हम जिस शरीर से प्यार करते है उससे धोखा खाते है और जो परमात्मा हमसे प्यार करता है उसको धोखा देते है | हम सभी जानते है कि उससे प्यार करना चाहिए जो हमे प्यार करता हो फिर भी हम धोखा करते है |
आज से ये समझ ले कि ये संसार हमे धोखा देगा तो इस धोखे से बचे और अपने से प्यार करने वाले परमात्मा के साथ इमानदार बने और उन्हें प्यार करे | इसलिए न तो धोखा दे और न तो धोखा खाए
और अपने प्रिय साथियों को भी इस धोखे से बचाए|
"हरे कृष्णा"
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
भजन न करने की बहानेबाजी
हरे कृष्ण
कुछ लोग कहते हैं कि हम भजन इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि भगवान ने भजन करना हमारे भाग्य में ही नहीं लिखा|
उनसे पूछा जाये - तो फिर धन कमाने की कोशिश क्यों करते हो? क्या उसका मिलना आपके भाग्य में लिखा है?
आपने अपना भाग्य किस पुस्तक में देखा है|
ये सब बातें केवल भजन न करने की बहानेबाजी है|
जिस प्रकार धन कमाने के लिए हम मेहनत करते है तो उसका प्रतिफल हमे प्राप्त होता है, उसी प्रकार यदि हम भगवान का भजन करते हैं तो उसके फल स्वरुप हमे भगवान की प्राप्ति हो जाती है|
तो इस लिए हमे प्राप्त समय का सदुपयोग करना चाहिए, अर्थात भगवान का भजन करना चाहिए|
हरे कृष्ण
Narad krishn priya das
कुछ लोग कहते हैं कि हम भजन इसलिए नहीं करते हैं क्योंकि भगवान ने भजन करना हमारे भाग्य में ही नहीं लिखा|
उनसे पूछा जाये - तो फिर धन कमाने की कोशिश क्यों करते हो? क्या उसका मिलना आपके भाग्य में लिखा है?
आपने अपना भाग्य किस पुस्तक में देखा है|
ये सब बातें केवल भजन न करने की बहानेबाजी है|
जिस प्रकार धन कमाने के लिए हम मेहनत करते है तो उसका प्रतिफल हमे प्राप्त होता है, उसी प्रकार यदि हम भगवान का भजन करते हैं तो उसके फल स्वरुप हमे भगवान की प्राप्ति हो जाती है|
तो इस लिए हमे प्राप्त समय का सदुपयोग करना चाहिए, अर्थात भगवान का भजन करना चाहिए|
हरे कृष्ण
Narad krishn priya das
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